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Jagannath Rath Yatra 2022: किस दिन शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, शामिल होने से मिलता है 100 यज्ञों का पुण्य

Updated Jun 11, 2022 | 14:08 IST

History Of Jagannath Rath Yatra 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जगन्नाथ रथयात्रा 1 जुलाई दिन शुक्रवार को प्रारंभ होगी। इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने से भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Jagannath Puri Temple
मुख्य बातें
  • उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने लाखों श्रद्धालु आते हैं
  • यहां हर साल आषाढ़ माह में भव्य रथयात्रा आयोजन होता है
  • भगवान जगन्नाथ श्री हरि विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही रूप माने जाते हैं

Kab Hai Jagannath Rath Yatra 2022: जगन्नाथ की चार धाम यात्रा महत्वपूर्ण मानी जाती है। उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां हर साल आषाढ़ माह में भव्य रथयात्रा आयोजन होता है। जगन्नाथ का अर्थ है जग के नाथ। भगवान जगन्नाथ श्री हरि विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही रूप माने जाते हैं। हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा का उत्सव 1 जुलाई शुक्रवार के दिन आरंभ होगा। जगन्नाथ रथ यात्रा में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक यहां भगवान श्री कृष्ण बलराम और उनकी छोटी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। इस यात्रा में देश-विदेश से भीड़ जुटती है। मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी दुख, दर्द, कष्ट समाप्त हो जाते हैं। 

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मिलता है 100 यज्ञ करने का फल

हिंदू धर्म के मुताबिक जगन्नाथ रथ यात्रा के पीछे यह मान्यता है कि भगवान अपने गर्भ ग्रह से निकलकर प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस रथयात्रा में शामिल होता है उन्हें 100 यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस रथयात्रा में देशभर के श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस रथ यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

जीवन-मरण के चक्र से मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर अपने भक्‍तों के बीच आते हैं और उनके दु:ख-सु:ख में सहभागी होते हैं। इसका महत्‍व शास्त्रों और पुराणों में भी बताया गया है। स्‍कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि जो भी व्‍यक्ति रथयात्रा में शामिल होकर गुंडीचा नगर तक जाता है। वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्‍त हो जाता है। वहीं जो भक्‍त श्रीजगन्नाथजी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ से होते हुए जाते हैं वे सीधे भगवान श्रीविष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं। 

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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