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Janmashtami 2022 Date: जन्माष्टमी 2022 में कब की है, जानें भाद्रपद मास के इस पर्व की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व

Updated Jun 14, 2022 | 20:33 IST

Janmashtami 2022 Date in India: हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी हर साल भद्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखकर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। 

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जन्माष्टमी 2022 की तिथि
मुख्य बातें
  • भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है जन्माष्टमी
  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की जाती है पूजा-अर्चना 
  • मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का हुआ था जन्म

Janmashtami 2022 Mein Kab Hai: भारत में जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। निसंतान स्त्रियां संतान की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं। यहां जानें जन्माष्टमी 2022 में कब मनाई जाएगी। 

Janmashtami 2022 Date and Time in India

हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी हर साल भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा। 

  • Janmashtami 2022 Date: 18 अगस्त, दिन गुरुवार
  • Janmashtami 2022 तिथि 2022 का प्रारंभ : 17 अगस्त,  रात 11.25 बजे से
  • Janmashtami 2022 तिथि का समापन : 19 अगस्त, दिन में 10:59 मिनट पर
     

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Janmashtami Vrat Vidhi: जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखा जाता है

  • जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा अर्चना करते हैं।
  • ऐसी मान्यता है, कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
  • इस दिन उपवास आप नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके सभी देवताओं से प्रार्थना करें।
  • अब पवित्र जल यानी गंगाजल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद तिल मिश्रित जल स्वयं पर छिडकर देवकी माता के लिए श्रम कक्ष तैयार करें।
  • अब भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को पालने में रखकर उसके बगल में कलश भी  रखें। 
  • पालने में श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ-साथ माता देवकी की प्रतिमा रखें।
  • अब भगवान श्री कृष्ण और उनके परिवार की पूजा करें।
  • जन्माष्टमी का व्रत 12:00 बजे के बाद पारण किया जाता है, इसलिए पूरे दिन केवल फल और दूध पर ही रहें।
  • घर के प्रवेश द्वार से लेकर रसोई तक भगवान के नन्हे-नन्हे पांव के निशान बनाएं।
  • इस दिन विष्णु पुराण भगवत गीता पढ़ें।
  • पूजा करने के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें।
  • अगली सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करके पारण करें।


Why Janmashtami is celebrated: जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है

भारत में सदियों से जन्माष्टमी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है, कि इसी दिन माता देवकी ने भगवान श्री कृष्ण को जन्म दिया था। आपको बता दें, जिस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उस दिन भद्र माह की अष्टमी तिथि थी। इसलिए हर साल जन्माष्टमी इसी तिथि को मनाई जाती है। 

जन्माष्टमी पर्व का क्या महत्व है

भारत में जन्माष्टमी हर शहर में अलग-अलग तरीके से मनाई जाती हैं। मथुरा, वृंदावन और गोकुल में जन्माष्टमी की पूजा विशेष तरह से की जाती हैं। इस दिन कुछ जगहों पर हांडी फोड़ने की भी परंपरा है। भारत में इस दिन कुछ जगहों पर मिट्टी से होली खेली जाती है। जन्माष्टमी के अगले दिन नंदा उत्सव मनाया जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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