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जन्माष्टमी के दिन इस कथा को हमेशा किया जाता है याद, जब कृष्‍ण का वध करने आए शकटासुर को भगवान ने दियाला मोक्ष

Updated Aug 20, 2019 | 07:48 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कृष्ण के हाथों मरने के बाद शकटासुर को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने शकटासुर को असुर योनि से बाहर निकालकर उसे मोक्ष दिलाया। जन्माष्टमी के दिन शकटासुर वध की कथा को हमेशा याद किया जाता है।

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Janmashtami
मुख्य बातें
  • वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था
  • श्रीकृष्ण के जन्म के समय अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का उदय हुआ था
  • जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाता है

Janmashtami: हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष कृष्ण के जन्मोत्सव को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का उदय हुआ था। यही कारण है कि कृष्ण जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त दिन शनिवार को है।

ऐसे मनायी जाती है जन्माष्टमी
जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाता है और जगह जगह झाकियां सजायी जाती हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण के बाल रुप को झूले पर बैठाकर उन्हें झूला झुलाया जाता है। यह कार्य बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पुरुष और महिलाएं जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं और रात को बारह बजे कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दौरान शंख, नगाड़े, घंटे और थालियां बजाकर कृष्ण के जन्म की खुशियां मनायी जाती हैं।

शकटासुर को ऐसे मिला था मोक्ष
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान कृष्ण तीन महीने के थे तब एक दिन उनकी मां यशोदा उन्हें एक पलंग में आंगन में सुलाकर यमुना नदी में स्नान करने चली गयीं। जब वह लौटकर आयीं तो पलंग टूटा हुआ था और भगवान श्री कृष्ण पलंग से नदारत थे। उन्होंने जब घर के अंदर जाकर देखा तो भगवान कृष्ण वहां पलंग पर सो रहे थे वास्तव में यह भगवान की लीला थी। 

जब यशोदा कृष्ण को सुलाकर स्नान करने चली गयीं तब कंस ने शकटासुन नामक राक्षस को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा। वह राक्षस भगवान कृष्ण को नींद में देखकर बहुत खुश हुआ और उन पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगा। जैसे ही वह कृष्ण को मारने के लिए दौड़ा उन्होंने उस राक्षस को हवा में उछाल दिया और जमीन पर गिरकर उसकी मौत कर दी। कृष्ण के हाथों मरने के बाद शकटासुर को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

इस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने शकटासुर को असुर योनि से बाहर निकालकर उसे मोक्ष दिलाया। जन्माष्टमी के दिन शकटासुर वध की कथा को हमेशा याद किया जाता है।

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