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Jaya Ekadashi Vrat katha: जया एकादशी की व्रत कथा, पौराण‍िक कहानी से जानें भगवान विष्णु के इस व्रत का महत्व

Updated Feb 12, 2022 | 06:14 IST

Jaya Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है जया एकादशी का व्रत। इस दिन श्री हरि भगवान की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। पढ़ें जया एकादशी व्रत की कथा ह‍िंदी में।

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जया एकादशी की पौराण‍िक कहानी
मुख्य बातें
  • माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहते है
  • इस साल जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी को रखा जाएगा
  • मान्‍यता है क‍ि इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति पूर्वक पूजा अर्चना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

Jaya Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में जया एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्री हरि की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यह हर साल शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 12 फरवरी (Jaya Ekadashi 2022 Date) दिन शनिवार को रखा जाएगा। यदि आप भी इस व्रत को करते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो जया एकादशी व्रत में यहां बताएं गए कथा जरूर पढ़ें। इस कथा को पढ़ने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

जया एकादशी 2022 व्रत कथा (Jaya Ekadashi 2022 vrat katha, Kahani in Hindi)

कथा के अनुसार एक समय नंदनवन में उत्सव मनाया जा रहा था। उस उत्सव में सभी देवता और ऋषि मुनि शामिल हुए। उत्सव में गंधर्व गाने रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रही थी। गंधर्व में से एक गंधर्व जिनका नाम माल्यवान था। उनके गाने को सुनकर पुष्पवती नाम की अप्सरा मोहित हो गई। वह मल्लवान को अपनी और आकर्षित करने के लिए प्रयत्न करने लगी। पुष्पवती के ऐसा करने से मल्लवान का सुर ताल खराब होने लगा। सपर ताल खराब होने की वजह से महोत्सव का आनंद फीका पड़ गया।

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यह देख कर सभी देवताओं को बहुत खराब लगा। तब देवों के राजा इंद्र ने क्रोध में आकर दोनों को श्राप दे दिया। जिसके कारण वह दोनों स्वर्ग लोक से मृत्यु लोक आ गए। मृत्यु लोक में आने के बाद उन दोनों हिमालय के जंगल में पिशाचों की तरह जीवन व्यतीत करने लगें। अपनी इस जीवन को देखकर वह दोनों बहुत दुखी थे। एक बार की बात है। माघ शुक्ल की जया एकादशी के दिन उन्होंने कुछ नहीं खाया था ना कुछ पिया था। वह पूरे दिन फल फूल खाकर अपना गुजारा कर रहे थे। भूख से व्याकुल होकर वह दोनों एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर अपनी पूरी रात गुजारी। 

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अपने हालत देखकर उन्हें अपनी गलती का पछतावा हो रहा था। उन्होंने अपनी गलती को सुधारने के लिए प्रण किया। अगली सुबह उन दोनों की मृत्यु हो गई। जिस दिन उनकी मृत्यु हुई उस दिन जया एकादशी था। अनजाने में उन्होंने इस व्रत को बिना खाए पिए किया था, इस वजह से पिचाश योनि से मुक्त मिल गई और वह स्वर्ग लोक में चले गए। स्वर्ग लोक में उन्हें देखकर इंद्र को बहुत आश्चर्य हुआ। तब उन्होंने उनसे श्राप मुक्ति के बारे में पूछा।

तब दोनों ने जया एकादशी व्रत के प्रभाव के बारे में भगवान इंद्र को बताया। उन्होंने बताया कि वह अनजाने में जया एकादशी का व्रत किया था, जिसके प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हुई और हम स्वर्ग लोक में आ गए। इससे साफ पता चलता है कि जया एकादशी व्रत करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है। 

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