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Vat Purnima Vrat 2022: वट सावित्री के बाद इस दिन रखा जाएगा वट पूर्णिमा व्रत, पति के लिए सुहागिन महिलाएं करेंगी पूजा

Updated Jun 06, 2022 | 14:41 IST

Vat Purnima Vrat: वट अमावस्या की तरह ही वट पूर्णिमा व्रत का भी खास महत्व होता है। वट सावित्री की तरह ही इस व्रत को भी सुहागिन महिलाएं रखती है और बरगद पेड़ की पूजा की जाती है।

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वट पूर्णिमा व्रत
मुख्य बातें
  • वट सावित्री की तरह होती है वट पूर्णिमा व्रत की महत्ता
  • पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है वट पूर्णिमा व्रत
  • ज्येष्ठ पूर्णिमा को कहा जाता है वट पूर्णिमा

Vat Purnima Vrat 2022 Puja Importance: ज्येष्ठ माह की अमावस्या व्रत की ही तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का भी बेहद महत्व होता है। अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है, तो वहीं पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत के नाम से जाना जाता है। पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती हैं। सोमवार, 30 मई को वट सावित्री व्रत के बाद अब मंगलवार, 14 जून को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। शास्त्रों में वट अमावस्या और वट पूर्णिमा का महत्व एक समान बताया गया है। लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है तो वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत को रखा जाता है।

स्कंद पुराण में वट सावित्री का व्रत पूर्णिमा के दिन रखने का जिक्र किया गया है। वट सावित्री की तरह इसमें भी बरगद पेड़ की पूजा की जाती है और सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए इस दिन व्रत रखती है।

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वट पूर्णिमा व्रत का महत्व

वट सावित्री की तरह ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बरगद यानी वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इसलिए इसे वट पूर्णिमा व्रत के नाम से जाना जाता है। वट सावित्री व्रत की तरह ही वट पूर्णिमा में भी पति की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं व्रत रखती है और पूजा-पाठ करती हैं। इसलिए वट पूर्णिमा व्रत की महत्ता वट सावित्री व्रत के समान ही है। अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए सावित्री ने यमराज से तीन वरदान मांगे थे, जिसमें आखिरी वरदान में सावित्री ने 100 पुत्रों की मां होने का वरदान मांगा था। ऐसे में यमराज को विवश होकर और वचन पर अड़िग रहने के लिए सत्यवाण के प्राण लौटाने पड़े। इसी कारण ज्येष्ठ माह के अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। वट सावित्री के बाद वट पूर्णिमा का व्रत सभी सुहागिन महिलाएं इसलिए रखती हैं क्योंकि उनके पति की प्राण रक्षा, आयु लंबी और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।

वट पूर्णिमा व्रत मुहूर्त

मंगलवार 14 जून को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। सोमवार 13 जून रात्रि 09:02 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है जोकि अगले दिन मंगलवार 14 जून शाम 05:21 पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार वट पूर्णिमा का व्रत 14 जून को ही रखा जाएगा।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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