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आज बन रहा है अद्भुत संयोग, मालामाल बनने के लिए दोपहर 12 बजे से पहले करें ये उपाय

Updated Oct 09, 2018 | 09:01 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

आज यानि 9 अक्‍टूबर को गजच्छाया योग बन रहा है, जिसमें 12 बजे से पहले विशेष उपाय करने से आपके जीवन में दाम्पत्य संबंधों की ऊर्जा बढ़ेगी और कर्ज से मुक्‍ति मिलेगी। यहां पढ़ें क्‍या हैं वो विशेष उपाय... 

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Jyotish Tips

नई दिल्‍ली: आज मंगलवार का दिन है जिसमें पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं। आज बड़ा ही विशेष योग है, जिसे गजच्छाया योग कहते हैं। ऐसा योग साल में कभी-कभी ही बनता है। यह योग आज दोपहर 12:05 तक रहेगा। 

यदि आपका मंगल भारी है और आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं या फिर दाम्पत्य संबंधों में प्‍यार बनाए रहना चाहते हैं तो आज के लिए विशेष उपाय जरूर करें। आज गजच्छाया योग में मंगल की कृपा पाने के लिए कौन से उपाय करें, जानें यहां। 

पारिवारिक कलह दूर करने के उपाय 
यदि आप अपने घर में खुशहाली चाहते हैं तो आज के दिन हाथी के पैर के नीचे की मिट्टी लाकर अपने घर में रखें और जब भी घर में कोई शुभ कार्य हो तो उस मिट्टी से परिवार वालों के माथे पर तिलक करें।

कर्ज से छुटकारा पाने के लिए 
यदि आप पर भारी कर्ज चढ़ा है तो एक साफ लोटे में पानी भ कर हनुमान जी के सामने रखें। इसके साथ ही चमेली के तेल का दिया जलाएं और ऋग्वेद 8,44,20, यानी कांड आठ, 44 वां सूक्त और 20 वीं ऋचा से ली गई इस पंक्ति का 108 बार जाप करें। 

बिजनेस में लाभ पाने के लिए 
बिजनेस में लाभ पाने के लिए आज के दिन उस जगह की मिट्टी का प्रयोग करें जिस भी जगह पर हाथी चला हो। इस मिट्टी को घर के  ईशान कोण में रखें। इस मिट्टी में थोड़ी सी शहद और  गंगाजल मिलाएं और जमीन पर वर्गाकार आकृति में मिट्टी को फैला दें। अब इस मिट्टी पर आम की लकड़ी से मंगल का यंत्र बनाये। यंत्र की विधि-पूर्वक पूजा कर के मंत्र का 108 बार जाप करें। अलगे दिन मिट्टी को जल में प्रवाह कर दें और थोड़ी सी मिट्टी अपने पास रख लें। इस मिट्टी से रोज अपने माथे पर तिलक लगाएं। आपको बिजनेस में सफलता मिलेगी।  

दाम्पत्य संबंधों में मिठास लाने के लिए उपाय 
आज के दिन केले के पत्ते में रोली बिछाइये। फिर उस पर त्रिकोण बनाइये और उस त्रिकोण के बीच में चमेली के तेल की शीशी रखिये। त्रिकोण के पास एक घी का दीपक जलाएं और आहिल्या कामधेनु की पांडुलिपि से ली गई इस पंक्ति का 21 बार जाप कीजिए अवन्ती समुत्थं सुमेषानस्थ धरानन्दनं रक्त वस्त्रं समीड़े। पूजा में प्रयोग की गई इन सभी चीजों को बहते जल में प्रवाहित कर दीजिए। 

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