- पूजा के लिए शिव और पार्वती की प्रतिमा मिट्टी से बनाएं
- घर में पूजा के बाद शाम को शिव मंदिर में जा कर पूजा करें
- बीमारी में भी व्रत को खंडित न होने दें, पति या सास व्रत दे दें
कजरी तीज का व्रत बेहद कठिन माना गया है। इस व्रत में महिलाओं का व्रत निर्जला होता है और लगभग दो दिन तक उनका व्रत बिना पानी के चलता है। व्रत के दौरान महिलाएं रात भर जाग कर भजन कीर्तन और कजरी के गीत गाती हैं। व्रत के दौरान बिना पानी रहना होता है और साथ ही पकवानों को बनाना भी जरूरी होता है।
व्रत वाले दिन सुबह स्नान कर भगवान शिव-पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है और व्रत कथा सुनाई जाती है। कजरी तीज पर झूला झूलना भी विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी आयु की कामना भी करती है। तमाम विधि विधान में कई बार पूजा कि विधि या तो अधूरी रह जाती है या कुछ भूल हो जाती है जिससे पूजा का फल नहीं मिल पाता है। इसलिए आइए कजरी तीज की पूरी विधि जानें साथ ही यह भी कि पूजा में भूल कर भी क्या चीजें नहीं करनी चाहिए।
व्रत में सुबह स्नान के बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा का महत्व है। पूरे दिन भजन गाया जाता है और हरतालिका व्रत की कथा सुनाई जाती है। कुछ राज्यों में महिलाएं पार्वतीजी की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से स्नान करती हैं। मान्यता के मुताबिक ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध मानी जाती हैं। कुछ स्थानों पर झूला झूलने की भी परंपरा है। यह व्रत महिलाओं के विवाह से भी जुडा होता है, इसलिए इसे अत्यंत शिद्दत के साथ किया जाता है।
तीज के दिन यह काम बिल्कुल भी न करें
- इस दिन काले और सफ़ेद कपड़े बिलकुल भी न पहनें। ये रंग वर्जित माना गया है। हरा या लाल रंग ही पहने।
- यदि आप बीमार हैं या व्रत नहीं कर सकती तो आप यह व्रत किसी को दे दें। जैसे सास, पति आदि। व्रत को खंडित न होने दें।
- ऐसी मान्यता है की कजरी तीज की रात सोना नहीं चाहिए। सोने पर अगला जन्म अजगर का मिलता है।
- कजरी तीज पर व्रत हमेशा निर्जला ही करें। फल आदि खाने से अगला जन्म बंदर को मिलता है।
- व्रत में शक्कर तक नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे अगले जन्म में मक्खी बनने का श्राप मिलता है।
- कोई सुहागिन महिलाएं यदि व्रत में जल पी ले तो वह अगले जन्म में मछली बन जाती है।
- व्रत का महत्व जानते हुए भी कोई सुहागिन महिलाएं व्रत के दौरान यदि दूध पी ले तो वह अगले जन्म में सर्प बन जाती है।
जानें क्या है इस दिन का पूजा विधान क्या है
- इस दिन दिन सुबह स्नान कर सबसे पहले सोलह श्रृंगार करें और पूजा कर उपवास का संकल्प लें। श्रृंगार में दो चीजें बेहद महत्वपूर्ण है हाथों में मेहंदी और चूड़ियां।
- शाम को शिव मंदिर जाएं और वहां विधिवत पूजा करें। वहीं बैठ कर आरती करें।
- मंदिर में घी का दीपक जरूर जलाएं और मां से अखंड सौभाग्य का वरदान मांगे।
- मंदिर में बैठ जाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करें।
- अंत में आप किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान में जरूर दें और उनका आर्शीवाद मांगे।
कजरी तीज पूजा में व्रत को खंडित होने से बचाना ही मुख्य बात होती है। कोशिश करें इस दिन गीत और भजन को गाते हुए बीताएं।
धर्म व अन्य विषयों की Hindi News के लिए आएं Times Now Hindi पर। हर अपडेट के लिए जुड़ें हमारे FACEBOOK पेज के साथ।