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Kartik Maas 2021: शरद पूर्णिमा के बाद ही प्रारंभ हो जाता है कार्तिक मास, जानें इस महीने का महत्व, स्नान करने के नियम और पूजा विधि

Updated Oct 20, 2021 | 19:26 IST

Kartik Month 2021 Importance, Puja Vidhi and Rules: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास शरद पूर्णिमा की समाप्ति के बाद ही प्रारंभ हो जाता है। इस महीने में व्रत करने, स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व हैं।

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कार्तिक मास 2021
मुख्य बातें
  • शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा की समाप्ति के बाद ही कार्तिक माह प्रारंभ हो जाता है।
  • इस माह में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं।
  • कार्तिक माह में भगवान विष्णु का जागरण करने से सभी मनोकामनाएं पूरे होते हैं।

Kartik Maas 2021 Importance, Rules, Rituals And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की तरह ही कार्तिक मास का भी विशेष महत्व हैं। इस महीने में दान-पुण्य, पूजा-पाठ और नदी में स्नान करने की मान्यता है। माना जाता है कि, इस माह में पवित्र नदियों मे स्नान करने और दान-पुण्य करने से जीवन में किए गए पाप धुल जाते हैं। व्यक्ति को सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, इस माह में कुंवारी कन्या को नदी में स्नान करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, यम देवता, धनवंतरी, गोवर्धन, भगवान श्री कृष्ण और चित्रगुप्त जी की पूजा की जाती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, इस माह में पूजा करने से देवी-देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं। यदि आप भी कार्तिक मास में भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो आप कार्तिक माह में उनकी पूजा जरूर करें। यहां आप कार्तिक मास का महत्व, पूजा विधि और स्नान करने का नियम जान सकते हैं।

कार्तिक मास का महत्व

शास्त्र के अनुसार, इस माह में भगवान श्री हरि जल में निवास करते हैं। कार्तिक मास में गंगा स्नान, दान, हवन और यज्ञ करने से पापों का नाश होता है। इन दिनों पूजा-पाठ करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में व्रत करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस महीने में की गई पूजा से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-अर्चना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

कार्तिक माह में स्नान करने के खास नियम

हिंदू शास्त्र के अनुसार, कार्तिक महीने में प्रयागराज, अयोध्या या कुरुक्षेत्र जैसे पवित्र स्थानों में जाकर स्नान करना लाभकारी माना जाता है। यदि आप ऐसी जगह पर किसी कारणवश नहीं जा पा रहे हैं, तो आप पवित्र नदियों में भी स्नान करके खुद को पापों से मुक्त कर सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा में नदी में स्नान करते समय इन मंत्रों को जरूर पढ़ें।

आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च।
पापं नाशाय मे देव वामन: कर्मभि: कृतम। 

यह बोल कर जल की ओर देख कर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।

दु:खदरिद्रयनाषाय श्रीविश्णोस्तोशणाय च।
प्रात:स्नान करोम्यद्य माघे पापविनाषनम।। 

इसके बाद ईश्वर की प्रार्थना करें। स्नान करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी है।

सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम।
त्वत्तेजसा परिभ्रश्टं पापं यातु सहस्त्रधा।।

कार्तिक मास में पूजा करने का तरीका

कार्तिक मास में गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ का विशेष महत्व है। इस समय चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति प्राप्ति अनुसूया और क्षमा इन 6 कृतिकाओं की पूजा जरूर करें। इसके बाद तुलसी पूजा और उनका सेवा जरूर करें। कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता है।

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