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Chanakya Niti: जीवन की चार परिस्थिति मनुष्य को अंदर ही अंदर कर देती हैं खत्‍म, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति

Updated Jul 24, 2022 | 18:34 IST

Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में आम पारिवारिक जीवन के बारे में कई अहम जानकारी दी है। उन्‍होंने मनुष्‍य के बारे में चार ऐसी परिस्थियां बताई हैं जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर मार देती हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
इन चार परिस्थितियों में मनुष्य का घुट जाता है दम
मुख्य बातें
  • व्‍यक्ति के लिए पत्नी का वियोग सबसे कष्‍टकारी
  • कर्ज का बोझ में व्‍यक्ति अंदर ही अंदर घुटता है
  • अपनों से बेइज्जत होने पर व्‍यक्ति मृतक के समान

Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्य को राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र जैसे कई विषयों की गहन जानकारी थी। चाणक्य ने कई ऐसे शास्त्रों की रचना की है जो आज भी मानव के लिए उपयोगी है। उन्होंने अपनी नीतियों में कई ऐसे उपाय बताए हैं जिनकी मदद से व्‍यक्ति अपना लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकता है। साथ ही परेशानियों और बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। आचार्य चाणक्य ने आम पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी देते हुए ऐसी चीजों के बारे में बताया हैं जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर मार देती हैं।

कान्तावियोगः स्वजनापमानं ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।

दारिद्र्यभावाद्विमुखं च मित्रं विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम् ॥

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पत्नी का वियोग

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्‍यक्ति के लिए सबसे कष्‍टकारी पत्नी वियोग होता है। इस व्यक्ति में व्‍यक्ति दुनियादारी की हर एक चीज को भूल जाता है। क्‍योंकि पत्‍नी अपने पति के साथ-साथ पूरे घर-परिवार का ध्यान रखती है। जब पत्‍नी साथ छोड़ देती है तो पति को हर मोड़ पर पत्‍नी याद आती है। इस वियोग में पति अंदर ही अंदर जलता रहता है।

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अपनों से बेइज्जत

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि जब किसी व्‍यक्ति का उसके घर पर ही इज्‍जत नहीं होती हैं तो वह व्‍यक्ति अंदर ही अंदर ग्लानि भरा जीवन जीना पड़ता है। अपनों से हुई बे-इज्‍जत के कारण व्‍यक्ति धीरे-धीरे अंदर ही जलता रहता है और कुछ समय बाद मरे हुए व्यक्ति के समान हो जाता है।

कर्ज का बोझ

आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर व्‍यक्ति पर कर्ज है तो इसका बोझ भी उसे अंदर ही अंदर मारता रहता है। व्‍यक्ति इस कर्ज को खत्‍म करने और अपने परिवार को खुशहाल रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है, लेकिन जब यह कर्ज नहीं उतरता तो व्‍यक्ति परेशान हा जाता है और उसकी रात की नींद उड़ जाती है।

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गरीबी एवं दरिद्रता

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि किसी भी व्‍यक्ति के जीवन में गरीबी और दरिद्रता से बुरा कुछ हो नहीं सकता है। यह स्थिति व्‍यक्ति को अंदर ही अंदर जलाकर रख कर देता है। आचार्य कहते हैं ऐसे व्‍यक्ति के दिमाग में हर समय यही बात चलती रहती है। इससे छुटकारा पाने के प्रयास में व्‍यक्ति कई बार गलत मार्ग पर भी चला जाता है।  

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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