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100 दिन बाद खुला कोलकाता स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, यहां गिरी थी मां सती के पैर की उंगलियां

Updated Jul 01, 2020 | 16:20 IST

Kolkata Kalighat Kali temple: कोलकाता का कालीघाट मंदिर अब श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से यह मंदिर पिछले 100 दिनों से बंद था।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Kolkata Kalighat Kali temple-
मुख्य बातें
  • कोलकाता का कालीघाट मंदिर अब श्रद्धालुओं के लिए खुल गया
  • कोरोना और लॉकडाउन की वजह से यह मंदिर पिछले 100 दिन से बंद था
  • कोलकाता स्थित यह मंदिर 21 शक्तिपीठ के रुप में शुमार होता है

नई दिल्ली: इस वक्त कोरोना और लॉकडाउन की वजह से देश के कई हिस्सों में मंदिर और तीर्थ स्थलों पर अधिकांश लोग नहीं जा पा रहे हैं। इस बीच 1 जुलाई से कोरोनावायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते लगभग 100 दिनों तक बंद कोलकाता का प्रसिद्ध कालीघाट मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आखिरकार बुधवार को खोल दिया गया। जानकारी के मुताबिक मंदिर के कपाट सुबह छह बजे खोल दिए गए, जहां भक्तों ने कड़े दिशा-निर्देशों का पालन करके दर्शन किए। 100 दिन बाद मंदिर खुलने से भक्त बेहद उत्साहित दिखे। 

क्या होंगे मंदिर प्रवेश और दर्शन के नियम 

कालीघाट मंदिर के सूत्रों के मुताबिक श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने के लिए थर्मल स्क्रीनिंग के बाद सैनिटाइजिंग टनल से गुजरना होगा। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा। मंदिर दो शिफ्ट में खुलेगा। सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक। एक बार में केवल 10 हीं श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश और दर्शन की अनुमति दी जाएगी। नए नियम अनुसार सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहन कर आना अनिवार्य है, कोई भी श्रद्धालु मंदिर के देवी-देवता की प्रतिमा या मूर्ति  को नहीं छू सकता और न ही मंदिर परिसर के अंदर प्रसाद का वितरण कर सकता है। दर्शन के दौरान सभी श्रद्धालु मास्क पहनकर मंदिर परिसर में दिखे।

कालीघाट- 51 शक्तिपीठ में से एक

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कालीघाट एक शक्तिपीठ है। मान्यताओं के अनुसार मां सती के दाये पैर की कुछ अंगुलिया इसी जगह गिरी थीं। आज यह अद्भुत जगह काली भक्तों के लिए सबसे बड़ा मंदिर के रुप में विख्यात है। पश्चिम बंगाल के अलावा देश के लगभग हर हिस्से से बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु मां काली के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। हुगली नदी के तट पर बना यह मंदिर पूरी दुनिया मे मशहूर है। किसी समय में गंगा घाट बिल्कुल मंदिर से लगा हुआ था, लेकिन अब यह थोड़ा दूर हो गया है। इस मंदिर को सत्रहवीं शताब्दी का माना जाता है। इस मंदिर से लगा घाट कालीघाट के नाम से जाना जाता है।  प्रतिमा के हाथ स्वर्ण आभूषणों और गला लाल पुष्प की माला से सुसज्जित है। श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ सिंदूर का चोला दिया जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र

कालीघाट मंदिर की पहली आरती सुबह पांच बजे होती है लेकिन इसमें श्रद्धालु भाग नहीं ले सकते हैं। मंदिर में भोग और प्रसाद वितरण का समय दोपहर 2 से पांच बजे तक का है। लेकिन मंदिर का गर्भगृह इस समय बंद रहता है। इसलिए यह मंदिर ना सिर्फ कोलकाता वासियों के लिए बल्कि देश के कई हिस्सों से आनेवाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। (तस्वीरों के लिए साभार -IANS)

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