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Janmashtami Shri krishna Lyrics: जन्माष्टमी में श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन से करें कान्‍हा भक्‍ति‍

Updated Aug 30, 2021 | 06:43 IST

Shri Krishan Govind Hare Murari bhajan lyrics: जन्माष्टमी 2021 का व्रत 30 अगस्‍त को है। जन्‍माष्‍टमी पर कान्‍हा भक्‍त‍ि में लीन होने के ल‍िए श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन के ल‍िर‍िक्‍स यहां देखें।

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तस्वीर साभार:&nbspTimes Now
भगवान कृष्ण के भजन
मुख्य बातें
  • जन्माषाष्टमी का व्रत 30 अगस्त को मनाया जाएगा
  • यह व्रत और उत्सव भगवान कृष्ण को समर्पित होता है
  • मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण की पूजा अर्चना सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं

Janmashtami Shri Krishan Govind Hare Murari bhajan lyrics: जन्माष्टमी देश में हर साल भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। रात  12 बजे लोग भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के बाद ही अपने व्रत को फल खाकर तोड़ते हैं। इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त सोमवार को मनाई जाएगी।

शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। अष्टमी के दिन यदि भगवान श्री कृष्ण के भक्त उनकी पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा से करें, तो लड्डू गोपाल उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरा करते हैं। आप भी इस दिन भगवान को को खुश करने के लिए उनका आशीर्वाद पाना चाहते है, तो पूजा करने के बाद ये आरती जरूर पढ़ें। 

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन लिखित में, shri krishna govind hare murari bhajan lyrics in hindi

सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी॥


बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥

हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल॥

राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥

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