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श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 2020 : कब है और कैसे मनाएं जन्‍माष्‍टमी और क्‍या हैं शुभकामना संदेश तक- आपके सभी सवालों के जवाब

Updated Aug 10, 2020 | 15:08 IST

Krishna Janmashtami 2020: भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व इस बार 11 और 12 अगस्त को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस व्रत का महत्व,तिथि,पूजा विधि क्या है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2020: FAQ में जानिए जन्माष्टमी व्रत,तिथि,मुहूर्त और पूजा विधि
मुख्य बातें
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार 11 और 12 अगस्त को मनाया जाएगा
  • मथुरा-वृंदावन में इसके लिए खास तैयारी की गई है
  • भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि को हुआ था

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो मास यानी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था । हर साल उनके जन्मोत्सव पर जन्माष्टमी मनाई जाती है।  इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं, व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण को झूले पर झुलाते हैं और कई जगहों पर झाकियां भी निकाली जाती है। 

जन्माष्टमी व्रत का महत्व क्या है?

देशभर में जन्माष्टमी का त्यौहार इस वर्ष 11 और 12 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का महापर्व है जिसे सनातन धर्म के लोग धूमधाम और बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान कृष्ण का जन्म इसी दिन हुआ था। पूरे भारत में भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी को पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। बड़े हों या बच्चे सभी लोग पूरे उत्साह के साथ भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी मनाते हैं। इस दिन कृष्ण मंदिरों की सजावट देखते ही बनती है। खासकर मथुरा,वृंदावन में इन दिनों उत्सव का अद्भुत माहौल रहता है। 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है? 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 11 और 12 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा। लेकिन जानकारों के मुताबिक 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाना श्रेयस्कर है। आइए जानते है कि जन्माष्टमी तिथि को लेकर असमंजस क्यों है। ज्योतिषविदों के मुताबिक, जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 02:06 बजे तक रहेगा। 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाई जा रही है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त कब है? 

11 अगस्त को सुबह 6 बजकर 54 मिनट से अष्टमी तिथि शुरु हो रहा है जो 12 तक रहेगा। दरअसल 12 अगस्त को 8 बजकर एक मिनट से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत हो रही है और भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए 12 अगस्त को ही अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र भी पड़ रहा है इसलिए 12 अगस्त को ही पंडितों और जानकारों के मुताबिक जन्माष्टमी का पर्व मनाना उत्तमोत्तम है।

स्मार्त और वैष्णव किस दिन जन्माष्टमी मनाएंगे?

स्मार्त लोग 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाएंगे क्योंकि स्मार्त लोग तिथि के मुताबिक जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं। यानी जिस तिथि से सूर्योदय होता है (यानी उदया तिथि- जब सूरज उदय होता है) यह उसीको मानते है इसलिए स्मार्त लोग 11 अगस्त को  जन्माष्टमी मनाएंगे। दूसरी तरफ वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले 12 अगस्त को मनाएंगे।  मथुरा,वृंदावन,द्वारिका आदि जगहों पर यह पर्व 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए यह समुदाय 12 अगस्त को ही यह पर्व मनाएगा। जबकि ओडिशा के जगन्नाथ पुरी, वाराणसी और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी क्योंकि 11 अगस्त से अष्टमी तिथि शुरू हो रही है। 

जन्माष्टमी के दिन पूजा कैसे करें?

इस दिन पूरा समय भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करना चाहिए। हो सके तो गीता के श्लोक को इस दिन जरूर पढ़ें और जीवन में उतारने की कोशिश करें। रात बारह बजने से पहले भगवान कृष्ण की पूजा शुरू कर दें। भगवान कृष्ण को दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं। जन्म के समय सोहर गाएं। अंत में गंगाजल से स्नान कराएं और भगवान के शरीर को पोछकर नए वस्त्र पहनाएं। अंत में पंचामृत और प्रसाद बांटें। भगवान कृष्ण की आरती करें और फिर घर के सदस्यों में प्रसाद का वितरण करें। 

भगवान कृष्ण का जन्म किस नक्षत्र में हुआ था?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए प्रति वर्ष इसी तारीख और इसी नक्षत्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।  कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए हर वर्ष इस समय,तिथि पर इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन मंदिरों के अलावा लोग घरों में भी धूमधाम से भगवान कृष्ण की पूजा अराधना करते हैं।

किस प्रकार जन्माष्टमी के दिन बधाई संदेश दें?

माखन चोर नन्द किशोर, बांधी जिसने प्रीत की डोर,
हरे कृष्ण हरे मुरारी, पूजती जिन्हें दुनिया सारी,
आओ उनके गुण गाएं सब मिल के जन्माष्टमी मनाएं
जन्माष्टमी 2020 की ढेरों बधाईयां

कृष्णा तेरी गलियों का जो आनंद है
वो दुनिया के किसी कोने में नहीं
जो मजा तेरी वृंदावन की रज में है
मैंने पाया किसी बिछौने में नहीं

Happy Krishna Janmashtami / Gokulashtami 2020

प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो, दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में लीन हो जाओ, उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी।
गोकुलाष्टमी की हार्दिक बधाई।

जन्माष्टमी के इस अवसर पर, हम यही कामना करते हैं कि श्रीकृष्ण की कृपा आप और आपके पूरे परिवार पर हमेशा बनी रहे। 
आपको और आपके पूरे परिवार को शुभ जन्माष्टमी 2020!

माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
खुशी मनाओ उसके जन्म दिन की,
जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया।

प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो, दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में लीन हो जाओ, उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी।
पलकें झुकें , और नमन हो जाए…….!!
मस्तक झुके, और वंदन हो जाए……!!
ऐसी नज़र, कहां से लाऊं, 
मेरे कन्हैया कि आपको याद करूं और आपके दर्शन हो जाए..!!

Happy Janmashtami 2020
Doodh-dahi churakar khaye
Matkiyan wo tod giraye
Rooth kar Radha se jaaye
Har pal uska jee dukhaye
Chhota sa Shyaam kamaal kare
Sabka beda paar kare
Shubh Janmashtami 2020!

Wo kala, Bansuri wala
Aisi raas rachaaye
Subh-budh apni kho den gopiyan
Murali aisi madhur bajaaye
Janmdin hai aaj us natkhat ka
Kanha jise sab log bulaayen
Happy Krishna Janmashtami 2020!

Krishna insisted on outer cleanliness and inner cleansing. Clean clothes and clean minds are an ideal combination. Have a blessed Janmashtami, Gokulashtam 2020i

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