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अगर आपने किया इनका अपमान तो इस दोष से होगा आपका बहुत बड़ा नुकसान

Updated Mar 28, 2022 | 23:50 IST

Matr Rin ki pehchan: मातृ ऋण के विषय में आज हम आपको यहां बता रहे हैं, इस ऋण का दोष किस वजह से लगता है, ऋण का प्रभाव जन्म जन्मांतर तक साए की तरह पीछा करता है और शास्त्रों में भी लिखा गया है मातृ देवो भव:।

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मातृ ऋण की पहचान अनिष्ट फल व उपाय
मुख्य बातें
  • मातृ ऋण से मिलता है अनिष्ट फल
  • जो कर्म हम करते है, उनका फल हमे भोगना पड़ता है
  • माता की सेवा सम्पूर्ण निष्ठा से सेवा करें।

Matr Rin ki pehchan: हम आपको मात्र ऋण के विषय में बता रहे हैं। यह शास्त्रों के अनुसार बड़ा ऋण माना जाता है। कहते हैं कि माता-पिता की सेवा करनी चाहिए बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए ऐसा करने से जीवन में कभी समस्याएं आड़े नहीं आती माता हमारी जननी होती है। जो 9 महीने हमें अपने गर्भ में रखती है और हमारे हर सुख-दुख में छाया बनकर हमारे साथ खड़ी रहती हैं। ऐसे ही मातृ ऋण के विषय में आज हम आपको यहां बता रहे हैं। इस ऋण का दोष किस वजह से लगता है, ऋण का प्रभाव जन्म जन्मांतर तक साए की तरह पीछा करता है और शास्त्रों में भी लिखा गया है मातृ देवो भव:। आज के समय मे देखा जाता है कि जिंदगी इतनी बदल रही है। हम माता-पिता को उतना समय नही दे पाते जितनी उनको जरूरत होती है। हालांकि ये सभी पर लागू नही होता ना सभी ऐसा करते हैं। आज भी करोड़ो श्रवण कुमार इस धरती पर मौजूद हैं। 

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मातृ ऋण दोष क्यों लगता है

इस ऋण के विषय में लाल किताब कहती है कि, जब चतुर्थ स्थान के केतु को चंद्रमा पीड़ित करता है। तब उस स्थिति में यह मातृ ऋण दोष लगता है। क्योंकि घटनाएं एकाएक नहीं होती वह तो एक निश्चित प्रक्रिया के कारण विकसित होती हैं। इसीलिए उन्हें पहली अवस्था में ही दिशा दे देनी चाहिए ऐसी ही कोशिश प्रत्येक व्यक्ति को कर लेनी चाहिए ताकि आप उचित समाधानों से अपनी समस्याओं से निजात पा सकें।

मातृ ऋण के ये है असली कारण

जब किसी व्यक्ति के घर में नया जीव जन्म लेता है या बच्चे का जन्म होता है। तो संतान होने के पश्चात किसी व्यक्ति द्वारा उसकी माता को कष्ट पहुंचाना या दुख देना और खुद की मानसिक रूप से स्थिति खराब होने के चलते उसकी माता को परेशान करना या सताना या किसी भी तरह से संतान को लेकर प्रताड़ित करना होता है। आगे क्या होने वाला है इसका पूर्वाभास सभी को होता है कुछ उसे रिसीव कर लेते हैं, जबकि अक्सर लोग अपनी बहुमुखी मनोवृतिओं के कारण पहले तो महसूस ही नहीं कर पाते और अगर कभी ऐसा होता भी है। तो वह उसकी परवाह नहीं करते अपेक्षा का परिणाम यह होता है कि उन्हें पछतावे के रूप में यह सब भोगना पड़ता है। यह सब इस दोष के कारण होता है।

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आप इस तरह कर सकते हैं इस ऋण की पहचान

जब आपके घर में किसी बच्चे का जन्म होता है तो खुशियों का माहौल होता है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार यमुना गंगा और कुओं का पूजन किया जाता है। जब आप ऐसे धार्मिक कार्य नहीं करते हैं इसकी एवज में आप गंगा यमुना या दरिया कुओं में पूजा पाठ करने की बजाय गंदगी कूड़ा करकट प्रवाहित करते हैं। तो यह सब निशानियां आपको इसी दोष की ओर इंगित करती हैं। आपको इन सभी बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए क्योंकि जो कर्म हम करते हैं उन्ही का फल हम भोगते भी हैं।

ऐसे होते हैं अनिष्ट फल

ईस ऋण के बुरे प्रभाव आपके सामने तब आने लगते हैं जब अचानक आपकी जमा की हुई संपत्ति धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। आपके घर में पाले गए पशुओं की मृत्यु होने लगती है। आपके घर परिवार में शिक्षा प्राप्त कर रहे लोगों की शिक्षा में समस्याएं उत्पन्न होती है। घर में अचानक किसी की मृत्यु हो जाती है। या मृत्यु तुल्य अवस्था बन जाती है। या फिर आत्महत्या करने जैसी स्थिति अचानक किसी विवाद के चलते उत्पन्न हो जाती है। अब ऐसी स्थिति में अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी आपकी सहायता करने की कोशिश करता है। तो वह भी आपके प्रभावों के कारण संकटों से घिर जाता है। इस दोष की वजह से यही बुरे प्रभाव या अनिष्ट फल आपके जीवन में घटित होने लगते हैं।


इस ऋण से बचने के यह होंगे सरल उपाय

1. अपनी माता की सम्पूर्ण निष्ठा से सेवा करें।

2. अपनी माता का उचित सम्मान करें।

3. अपनी माता को उपहार स्वरूप कोई भी वस्तु अवश्य दें।

4. अपने वंशजो के प्रत्येक व्यक्ति से सम्भाग मात्रा में चांदी लेकर किसी भी नदी में प्रवाहित करें।

इस तरह के सभी उपाय करने से आपको इस मातृ ऋण के दोषों से व समस्त कष्टों से अति शीघ्र मुक्ति मिलेगी जीवन में आने वाली समस्याओं से आपको निजात मिलेगी।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

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