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Lalahi Chhath 2022 : ललही छठ में गाय के दूध से बनी चीजों का सेवन है वर्जित, जानिए क्या खाएं, क्या नहीं

Updated Jul 25, 2022 | 16:15 IST

Lalahi Chhath 2022 Shubh Muhurat: ललही छठ भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ललही छठ का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगाा। यह व्रत मां अपने संतान के अच्छे स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए रखती है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Lalahi vrat puja
मुख्य बातें
  • ललही छठ के दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था
  • इस दिन विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है
  • ललही छठ का व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है

 Lalahi Chhath 2022 Vrat Niyam: भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पहले ललही छठ का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में ललही छठ व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत महिलाएं संतान के सुख समृद्धि के लिए रखती है व सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ललही छठ का व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को अच्छा पति पाने के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इस दिन विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। ललही छठ का व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल ललही छठ का व्रत 18 अगस्त को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत में क्या खाना वर्जित होता है और क्या खाना चाहिए।

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जानिए शुभ मुहूर्त

ललही छठ भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार षष्ठी तिथि 17 अगस्त दिन बुधवार को शाम 6:50 से प्रारंभ होगी। षष्ठी तिथि का समापन 18 अगस्त को रात्रि 8:55 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 18 अगस्त को हरछठ का व्रत रखा जाएगा। व्रत रखने के लिए यह शुभ मुहूर्त है। 

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जानिए, इस व्रत में क्या खाएं क्या न खाएं

ललही छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन अनाज का सेवन नहीं करती है। ऐसी मान्यता है कि ललही छठ व्रत के दिन हल से जूती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत में वही चीजें खाई जाती है जो तालाब में पैदा होती है जैसे- तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल का सेवन करती हैं चीनी का चावल।

पूजा के दिन महिलाएं भैंस के दूध से बने दही और महुवा को पलाश के पत्ते पर खा कर व्रत तोड़ती हैं। इस दिन गाय के दूध और दही का सेवन वर्जित माना जाता है। यह भी ध्यान देने वाला है कि इस व्रत में ब्रश भी महुआ के दातुन से किया जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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