लाइव टीवी

Bhagwan Krishna 56 Bhog : क्यों लगता है श्रीकृष्ण को 56 तरह का भोग? जानें, भगवान से जुड़ी कई अनसुनी रोचक बातें

Updated Aug 12, 2020 | 07:53 IST

Life story of Lord Krishna : भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप उनके जीवन से जुड़ी कुछ अंदरुनी बातों से परिचित हैं? नहीं, तो जन्माष्टमी पर उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी रोचक बातों को जानें।

Loading ...
Life story of Lord Krishna, श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
मुख्य बातें
  • 15 वर्ष की आयु में गोकुल को छोड़ा था, उसके बाद कभी वापस गोकुल नहीं गए
  • श्रीकृष्ण के शरीर से हमेशा मादक और मनमोहक सुंगध स्रावित होता था
  • कृष्ण के अतिरिक्त कौमोदकी गदा केवल बलराम और भीम ही उठा सकते थे

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपल्क्ष्य में जन्माष्टमी का आयोजन होता है। इस दिन भगवान की पूजा-अर्चना सुबह से शुरू हो कर उनके जन्म लेने तक यानी रात 12 बजे तक चलती रहती है। भगवान का जन्म बहुत ही विपरीत परिस्थितयों में हुआ था। कारागार में जन्मे श्रीकृष्ण की जान बचाने के लिए उनके पिता वासुदेव उन्हें नंद के पास छोड़ दिया था। नंद और यशोदा मईया के यहां ही कान्हा का पालन-पोषण हुआ। मईया यशोदा के साथ उनकी अठ्खेलियां हों या गोपियों के संग उनकी रास लीला, सब कुछ मनमोहक हुआ करती थी।

कुछ ऐसे भी प्रकरण भगवान से जुड़े रहे हैं, जों आमजन नहीं जाते। उनके जीवन, वंशावली और शारीरिक संरचना और बलिदान से जुड़ी कई रोचक बातें, आइए आपको बताएं।

जानें, भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की कुछ अनसुनी रोचक बातें

  1. भगवान श्रीकृष्ण की परदादी का नाम मारिषा था। उनके बड़े भाई बलराम की मां रोहिणी नागवंश से जुड़ी थीं।
  2. बलराम भगवान श्रीकृष्ण से 1 साल 8 दिन बड़े थे, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें पिता तुल्य स्थान दिया था।
  3. गोकुल को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए जब गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी कानिष्ठ उंगली पर उठाया था तो वह 7 दिन तक भूखे रहे थे। जबकि भगवान हमेशा 8 प्रहर भोजन करते थे। गोगुल के लोगों को जब ये बात पता चली तो गोवर्धन की पुन: स्थापना के बाद लोगों ने 8 बार के हिसाब से 56 तरह के पकवान बनाकर भगवान को खिलाया था और तभी से भगवान को 56 भोग चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
  4. हमेशा चेहरे पर मंद मुस्कान लिए हुए मधुर स्वभाव के श्रीकृष्ण की मांसपेशियां युद्ध के समय विस्तॄत हो जाती थीं। सामान्य दिनों में कोमल और लावण्यमय नजर आने वाला शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर हो जाता था।
  5. श्रीकृष्ण श्याम वर्ण के थे और उनके शरीर से हमेशा एक मादक और मनमोहक सुंगध स्रावित होता था। भगवान को अपने गुप्त अभियानों में इस सुगंध को छुपाने में बहुत मुश्किल होती थी। बता दें कि ऐसी ही खुशबू द्रौपदी के शरीर से भी निकलती थी और अज्ञातवास में उन्होंने इसलिए सैरन्ध्री का काम चुना ताकि चंदन और उबटन के बची उनकी सुगंध दब जाएं। पांडवों की दादी सत्यवती को महर्षि पराशर से भी ऐसे ही शरीर से सुंगध का आशीर्वाद मिला था।
  6. भगवान ने द्वारिका नगरी तो जरूर बसाया था लेकिन अपने जीवन के अंतिम सयम को छोड़ कर वह कभी भी द्वारिका में 5 महीने से ज्यादा नहीं रहे थे। इतना ही नहीं, 15 वर्ष की आयु में जब उन्होंने गोकुल को छोड़ा था, उसके बाद श्रीकृष्ण कभी भी वापस गोकुल नहीं गए। हालांकि एक बार उन्होंने गोगुल में उद्धव को भेजा था और तब गोकुल के लोगों ने उन्हें ही कृष्ण माना था क्योंकि उनकी कद-काठी भगवान से मिलती थी।
  7. भगवान श्रीकृष्ण ने जिस युद्ध-कला को विकसित ब्रज के वनों में किया था वह कला ही आज के जमाने में मार्शल-आर्ट के नाम से जानी जाती है। यही नहीं रासलीला और डांडिया नृत्य भी भगवान ने ही विकसित की थी। 'कलारीपट्टु' का प्रथम आचार्य श्रीकृष्ण को ही माना गया है। यही वजह है कि द्वारका की 'नारायणी सेना' आर्यावर्त की सबसे भयंकर प्रहारक सेना थी।
  8. श्रीकृष्ण को ही भगवान विष्णु का परमावतार माना गया है और इसके पीछे वजह यह थी कि उनके समकक्ष वही थे। उन्होंने अपने गुरु सांदीपनि के आश्रम में केवल 54 दिनों में 54 विद्याओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था।
  9. भगवान कृष्ण के रथ में हमेशा चार अश्व जुते रहते थे। उनके रथ का नाम 'जैत्र' था और उनके सारथी का नाम दारुक (बाहुक) था। उनके अश्वों का नाम शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक था।
  10. भगवान कृष्ण का मुख्य शस्त्र सुदर्शन चक्र था और उनके धनुष का नाम श्राङ्ग, खड्ग का नाम नंदक, गदा का नाम कौमोदकी और शंख का नाम पाञ्चजन्य था।
  11. कौमोदकी को विश्व का प्रथम और सबसे शक्तिशाली गदा माना जाता था और कृष्ण के अतिरिक्त कौमोदकी को केवल बलराम और भीम ही उठा सकते थे।
  12. श्रीकृष्ण पुत्र साम्ब , लक्ष्मणा से विवाह करने के लिए हस्तिनापुर गए थे, लेकिन लक्ष्मणा के पिता दुर्योधन ने साम्ब को बंदी बना लिया। जब श्रीकृष्ण हस्तिनापुर  जाने लगे तब बलराम ने उन्हें द्वारका में ही रोक दिया और खुद हस्तिनापुर गए। जब दुर्योधन ने साम्ब को मुक्त करने से इंकार किया तो बलराम ने अपने हल से हस्तिनापुर को गंगा की ओर झुका दिया। जब हस्तिनापुर गंगा में डूबने के कगार पर पहुंचने लगी तब भीष्म के बीच-बचाव कर साम्ब को मुक्त कराया और साम्ब और लक्ष्मणा का विवाह भी कराया। यही कारण है कि आज भी हस्तिनापुर गंगा के छोर की तरफ झुका हुआ है।
  13. अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे लेकिन एक बार मद्र की राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में अर्जुन भी लक्ष्य भेद नहीं कर पाए तब श्रीकृष्ण ने लक्ष्यभेद कर लक्ष्मणा से विवाह किया था।
  14. महाभारत युद्ध में कर्ण ने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी कि उसके निधन के बाद उसका अंतिम संस्कार ऐसी जमीन पर हो जहां कोई पाप न हुआ हो, लेकिन संसार में भगवान को ऐसी कोई जगह नहीं मिली तो उन्होंने अपने हाथों पर कर्ण का अंतिम संस्कार किया था।
  15. श्रीकृष्ण की मृत्यु 108 वर्ष में हुई थी। यह संख्या हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी जाती है। यही नहीं, परगमन के समय न श्रीकृष्ण का एक भी बाल श्वेत था और न ही शरीर पर कोई झुर्री ही थी।

भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी ये जानकारियां कई ग्रंथों और पुराणों से ली गई हैं। 

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल