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माता कालिका के प्रसिद्ध तीन मंदिर, जहां जाने से खुलता है भक्तों का भाग्य

Updated Aug 30, 2020 | 14:04 IST

Kali Temple: देवी कालिका को जागृत देवी के रूप में माना गया है। देवी के तीन मंदिर में यदि भक्त दर्शन-पूजन कर लें, तो उनकी सोई हुई किस्मत जाग जाती है। तो आइए, देवी के तीन मंदिरों की शक्ति के बारे में जानें।

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Famous temple of Goddess Kalika, देवी काली के तीन प्रसिद्ध मंदिर
मुख्य बातें
  • माता कल‍िका न्याय की देवी मानी जाती हैं
  • गढ़ कालिका मंद‍िर महाभारत कालीन माना जाता है
  • दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण 1847 में हुआ था

देवी कालिका यानी काली माता की पूजा करने से मनुष्य की आंतरिक शक्ति मजबूत होती है। साथ ही नकारात्मक शक्तियां, शत्रु प्रभाव और विपरीत परिस्थितियों का संकट भी दूर होता है। इसलिए देवी कालिका का दर्शन-पूजन किस्मत खोलने वाला माना गया है। मां कालिका देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक मानी गई हैं। मां काली के चार रूप है- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। मान्यता है कि देवी कालिका का दर्शन यदि मनुष्य एक बार कर ले तो उनके दरबार में उस मनुष्य का नाम-पता दर्ज हो जाता है।

देवी न्याय की देवी हैं और यदि मनुष्य ने कोई गलती की हो तो उस दंडित भी करती है और अपने भक्तों का कल्याण भी। तो आइए देवी कालिका के तीन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानें, जहां दर्शन करने मात्र से मनुष्य के भाग्य खुल जाते हैं।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता में देवी मां कालिका का विश्व अति प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित है। इस जगह को कालीघाट के नाम से जानते हैं। ये जागृत देवी स्थान है और 52 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां देवी सती की दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी। इस मंदिर का निर्माण 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने कराया था। 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1855 में पूरा हुआ था।

गढ़ कालिका मंदिर

उज्जैन के कालीघाट स्थित कालिका देवी का ये प्राचीन मंदिर गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। गढ़ कालिका के मंदिर में देवी का दर्शन करने मात्र से कई चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। यहां देवी की पूजा ज्यादातर तांत्रिक करते हैं। इस मंदिर की प्राचीनता के विषय में बहुत जानकारी नहीं मिलती, लेकिन लोगों की मान्यता है कि ये मंदिर महाभारत काल का है, लेकिन देवी की प्रतिमा सतयुग की है। इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन ने कराया था। बाद में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया। हालांकि ये मंदिर भले ही शक्तिपीठ में शामिल नहीं, लेकिन इस मंदिर में मां हरसिद्धि ‍शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व है। पुराणों में उल्लेख है कि उज्जैन में ‍शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के होंठ गिरे थे।

पावागढ़ महाकाली शक्तिपीठ

गुजरात की पहाड़ी पर स्थित देवी महाकाली का मंदिर है। इसे पावागढ़ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि पावागढ़ में देवी सती का वक्षस्थल गिरा था। यहां देवी का जागृत दरबार लगता है और यहां देवी की सेविकाएं ही कार्य करती हैं। मान्यता है कि गुरु विश्वामित्र ने यहां काली मां की तपस्या की थी। यह मंदिर गुजरात चंपारण्य के पास स्थित है, जो वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।

देवी कालिका के ये तीन मंदिर अपनी आस्था और दैवीय चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं।हालांकि, देवी कालिका का गोवा के नार्थ गोवा में महामाया, कर्नाटक के बेलगाम में, पंजाब के चंडीगढ़ में और कश्मीर में स्थित मंदिर की भी प्रसिद्ध बहुत है।

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