- चंद्र ग्रहण में भोजन करने से पाचन क्रिया होती है प्रभावित
- अल्ट्रावॉयलेट किरणें पड़ने से ग्रहण में भोजन हो जात है दूषित
- ग्रहण से पहले पके हुए भोजन में जरूर डालें तुलसी पत्ता
Precautions of Lunar Eclipse 2022: इस साल का पहला चंद्र ग्रहण सोमवार 16 मई को लगेगा।यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जोकि भारत में दिखाई नहीं देगा। भारत में ग्रहण के दिखाई नहीं देने से इसका प्रभाव भी यहां नहीं पडेगा। लेकिन फिर भी चंद्र ग्रहण के दौरान एहतियात बरतना जरूरी होता है। क्योंकि धार्मिक और ज्योतिष दृष्टिकोण से भी ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करने, सोने, धूमने,यात्रा करने और खाने-पीने जैसी कई चीजों पर मनाही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों ग्रहण के दौरान भोजन करने पर भी मनाही होती है। वहीं गर्भवती महिला, बीमार व्यक्ति और बुजुर्गों को भी इस दौरान हल्का भोजन करने या सिर्फ पानी वगैरह पीने की सलाह दी जाती है। जानते हैं इस बारे में विस्तार से..
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भोजन को दूषित कर देती है अल्ट्रावॉयलेट रेज
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा की किरणों को विषाक्त माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेज या पराबैंगनी किरणें खाने को दूषित कर देती है, जिससे कि पका हुआ भोजन जहर के समान होता है। इसे खाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर पडता है। लेकिन बिना पकी हुई चीजों को यह किरणें प्रभावित नहीं करती।
चंद्र ग्रहण में पाचन तंत्र हो सकता है प्रभावित
शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ग्रहण के दौरान किया गया भोजन पचाने में समस्या होती है और इससे कई तरह की बीमारियां होती है। चंद्र ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें पके हुए भोजन को प्रभावित करती है। यही कारण है ग्रहण लगने से पहले पके हुए भोजन, दूध,दही और पानी वगैरह में तुलसी का पत्ता डाला जाता है। तुलसी के पत्ते में पारा होता है, जिससे कि किसी भी हानिकारण किरणों का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता।
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कब लगता है चंद्र ग्रहण?
लोगों के मन में यह जानने की उत्सुकता अक्सर रहती है कि चंद्रमा को ग्रहण कब और कैसे लगता है। बता दें कि पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन हर माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं लगता। बल्कि ऐसी घटना कुछ विशेष परिस्थियों में ही घटित होती है। खगोलीय दृष्टिकोण के अनुसार, सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर उपग्रह अपने ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। लेकिन जब सूर्य के चारों ओर पृथ्वी और पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा चक्कर लगाते हुए सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के सीधी रेखा में आ जाते हैं तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है। इस स्थिति को ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)