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Mahabharat unknown facts: पांडवों और कौरवों के 'चाचा' थे व‍िदुर, माने जाते हैं यमराज का अवतार

मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated May 14, 2020 | 13:06 IST

Who was Vidur and his role in Mahabharat: महाभारत के युद्ध में जीव‍ित बचने वालों में से व‍िदुर भी थे। वह धृतराष्‍ट्र और पांडु के सौतेले भाई थे और इस नाते पांडवों और कौरवों के चाचा हुए। जानें उनके बारे में।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Story of Vidur : A still from Mahabharat TV Show
मुख्य बातें
  • व‍िदुर की नीतियां प्रख्‍यात हैं
  • दासी पुत्र होने के बावजूद वह पांडवों और कौरवों के चाचा थे
  • पांडवों को युक्‍त‍ि बताकर लाक्षाग्रह से बचाया था

महाभारत के युद्ध में एक ही परिवार के कई योद्धाओं का अंत हुआ। पांडवों और धृतराष्‍ट्र के अलावा इस युद्ध में जीव‍ित बचने वालों में व‍िदुर भी थे। उनको धर्मराज यानी यमराज का अवतार भी माना जाता है। वह एक नीतिज्ञ के रूप में व‍िख्‍यात हैं और वह हमेशा न्‍यायप्र‍िय रहे। उन्‍होंने अपनी ओर से महाभारत के युद्ध रोकने के भी कई प्रयत्‍न करे लेक‍िन इसे टाल नहीं पाए। जब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के शांतिदूत के रूप में हस्तिनापुर आए थे, तो दुर्योधन की व‍िलास‍िता पूर्ण आवभगत छोड़कर वह विदुर के घर पर ठहरे थे। 

व‍िदुर की जन्‍म कथा 
हस्‍त‍िनापुर नरेश शांतनु और सत्‍यवती के दो पुत्र थे - च‍ित्रांगद और व‍िच‍ित्रवीर्य। बड़े च‍ित्रांगद के युद्ध में मारे जाने पर छोटे को राजगद्दी दी गई। साथ ही व‍िच‍ित्रवीर्य के व‍िवाह के लिए भीष्‍म काशीराज की तीनों पुत्र‍ियों - अंबा, अंब‍िका और अंबाल‍िका, को हस्‍त‍िनापुर ले आए थे। अंबा ने अपनी पसंद जाहिर की जो भीष्म ने उनको सकुशल राजा शाल्‍व के पास भेज द‍िया। वहीं व‍िच‍ित्रवीर्य से बाकी दोनों बहनों का व‍िवाह हो गया। 

लेकिन व‍िच‍ित्रवीर्य ब‍िना संतान द‍िए दुनिया से चले गए। इस पर सत्‍यवती ने अपने पुत्र वेदव्‍यास से मदद मांगी। वेदव्यास जब अंब‍िका से मिले तो उनका तेज देखकर उसके नेत्र बंद हो गए। इस तरह नेत्रहीन धृतराष्‍ट्र हुए। दूसरी रानी अंबालिका उनको देखकर डर गईं तो बीमार पांडु का जन्‍म हुआ। 

इस पर अंब‍िका को दोबारा जाने को कहा गया तो उसने दासी को भेज द‍िया जिससे व‍िदुर ने जन्‍म लिया। 

यमराज का अवतार 
मान्‍यता है क‍ि यमराज को माण्‍डव्‍य ऋष‍ि ने शाप द‍िया था जिसकी वजह से उनको मानव जन्‍म में आना पड़ा। वह हस्‍त‍िनापुर के मंत्री थे और इसी प्रयत्‍न में रहे क‍ि धृतराष्‍ट्र हमेशा धर्म का पालन करें। 

महाभारत में भूमिका 
अपनी ओर से विदुर ने महाभारत के युद्ध को रोकने का पूरा प्रयास क‍िया। जब लाक्षाग्रह में दुर्योधन ने पांडवों को जलाने की कोशिश की थी तब व‍िदुर ने उनको बचने की युक्‍त‍ि इशारों में बताई थी। जब दुर्योधन ने द्रोपदी के चीर हरण का प्रयास क‍िया था, तब वे रुष्‍ट होकर सभाभवन से चले गए थे। पांडवों के अज्ञातवास के दौरान कुंती ने विदुर के पास ही समय ब‍िताया था। 
 

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