- देवी मंगला गौरी की पूजा मंगलवार को करने से मिलता है अखंड सौभाग्य
- देवी मंगला गौरी की पूजा में हर वस्तु 16 की संख्या में चढ़ती है
- इस व्रत के करने से वैवाहिक जीवन के क्लेश भी दूर होते हैं
सावन का आज आखिरी मंगलागौरी व्रत पूजा है और इस दिन देवी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य और सुहाग की कामना पूरी होती है। देवी पार्वती की पूजा सावन मास में हर मंगलवार के दिन की जाती है और सावन मास का आखिरी मंगला गौरी व्रत पूजा होनी है। यदि किसी कारण वश यदि आप सावन मास में मंगला गौरी व्रत पूजा नहीं कर सकीं तो सावन के चौथे और आखिरी मंगलवार को यह पूजा जरूर करें। इस दिन देवी की आरती और महामंत्र के जाप भर से आपको संपूर्ण सावन मास के मंगला गौरी व्रत पूजन का पुण्यलाभ मिल जाएगा।
देवी मंगला गौरी यानी माता पार्वती की पूजा सावन में हर मंगलवार को अखंड सौभाग्य की कामना के साथ विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं। पुरणों में वर्णित है कि जिस प्रकार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था और उसके बाद शिवजी को पाईं थी, उसी प्रकार महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए करती हैं। इस व्रत के करने से वैवाहिक जीवन के क्लेश भी दूर होते हैं।
ऐसे करें देवी की पूजा
मंगलवार के दिन सुबह स्नान-ध्यान कर मंगला गौरी व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद देवी मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को लाल वस्त्र बिछाकर एक चौकी पर स्थापित कर दें। इसके बाद पुष्प, अक्षत्, गंध, धूप, दीप आदि से षोडशोपचार देवी का पूजन करें। देवी मंगला गौरी की पूजा में हर वस्तु 16 की संख्या में चढ़ती है। जैसे 16 श्रृंगार की सामग्री, 16 फूल, 16 प्रकार के फल, मिठाई आदी। श्रृंगार की सामग्री में चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, मेंहदी, साड़ी आदि शामिल होता है। इसके बाद महादेव की भी पुष्प, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि अर्पित कर पूजा करें। अब मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करें।
इसके बाद देवी के महामंत्र का जाप करें
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
अब इसके बाद देवी की ये आरती करें
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी...।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी...।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी...।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी...।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी...।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी...।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी...।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
इसके बाद कर्पूरगौरं मंत्र का जाप करें
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
मंगला गौरी का व्रत और पूजन करने के बाद देवी के प्रसाद को सुहागिनों में बांटे। इससे आप पर देवी की कृपा बनी।