लाइव टीवी

Mata Sita mandir : नेपाल का जानकी मंदिर जहां हुआ था माता सीता का स्‍वयंवर, इसे क्‍यों कहते हैं नौलखा मंद‍िर

Updated May 21, 2021 | 11:28 IST

Mata Sita Mandir in Nepal : जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभभानु कुमारी ने 1911 ईस्वी में करवाया था।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspTwitter
नेपाल का जानकी मंद‍िर
मुख्य बातें
  • इस मंदिर के निर्माण में लगा था 16 साल का समय, 1895 ईस्वी से 1911 तक चला था मंदिर का निर्माण कार्य।
  • मंदिर में आज भी मौजूद माने जाते हैं सीता स्वयंवर के दौरान भगवान राम द्वारा तोड़े गए धनुए का अवशेष।
  • मंदिर में 54 साल से लगातार चल रहा है भगवान राम और माता सीता का जाप तथा अखंड कीर्तन।

रामायणकाल में बैसाख माह की नवमी तिथि को मिथिला के राजा जनक के यहां माता सीता का जन्म हुआ था। उनकी राजधानी का नाम जनकपुर है, आपको बता दें जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर की कलाकृति बेहद अद्भुत है। माता सीता को समर्पित इस मंदिर को ऐतिहासिक स्थल भी माना जाता है, जहां माता सीता का जन्म हुआ और उनके विवाह के बाद यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम चंद्र जी का ससुराल बना।

आज भी इस मंदिर में ऐसे प्रमाण मौजूद हैं जो रामायणकाल का उल्लेख करते हैं। ऐसे में आइए सीता जयंती के उपलक्ष्य में जानते हैं नेपाल के जानकी मंदिर यानि माता सीता के जन्म स्थल के बारे में रोचक तथ्य।

नेपाल के जानकी मंदिर का इतिहास

जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जानकीपुर धाम के रूप में विख्यात माता सीता का यह मंदिर 4860 वर्गमीटर में फैला हुआ है। इस मंदिर के निर्माण में करीब 16 साल का समय लगा था यानि मंदिर का निर्माण 1895 ईस्वी में शुरु हुआ और 1911 में संपूर्ण हुआ था।

मंदिर के आसपास 115 सरोवर और कुंड हैं, जिसमें से गंगा सागर, परशुराम सागर एवं धनुष सागर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। माता सीता के इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभभानू कुमारी के द्वारा करवाया गया था, मंदिर के निर्माण में करीब 9 लाख रूपए लगे थे। इसलिए मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक 1657 ईस्वी में यहां पर माता सीता की सोने की मूर्ती मिली थी।

यहां हुआ था माता सीता का विवाह

सीता जयंती और भगवान राम और माता जानकी के विवाह के अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। कहते हैं कि भगवान राम ने यहीं पर माता सीता से विवाह के लिए स्वयंवर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। आपको बता दें यहां मौजूद पत्थर के टुकड़े को धनुष का अवशेष कहा जाता है।

सीता जयंती पर आते हैं श्रद्धालु 

रामायणकाल के अनुसार माता सीता ने धरती मां के गर्भ से जन्म लिया था और निसंतान राजा जनक को खेत में हल चलाते समय मिली थी। कहा जाता है कि जनकपुर धाम में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पर राजा जनक को माता सीता का प्रापत्य हुआ था। सीता जयंती के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं और विधि विधान से माता सीता की पूजा अर्चना करते हैं।

विवाह मंडप को लेकर है खास मान्यता

मंदिर के प्रांगन में विवाह मंडप स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यही वह मंडप है जहां पर माता सीता और भगवान राम का विवाह हुआ था। इस विवाह मंडप के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, इस मंडप को लेकर मान्यता है कि यहां पर आने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। आसपास के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर जाते हैं।

54 साल से लगातार चल रहा है अखंड कीर्तन

आपको बता दें माता जानकी के इस मंदिर में 1967 से यानि 54 साल से लगातार भगवान राम और माता सीता का जाप तथा अखंड कीर्तन चल रहा है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल