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Raksha Bandhan 2022: राखी नहीं खरीद पा रही हैं तो कलावे से बांधिए रक्षा सूत्र, इसका है बहुत महत्व

Updated Jul 29, 2022 | 20:24 IST

Mauli Raksha Sutra: हिंदू पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है। रक्षाबंधन के दिन हाथों में कलावा बांधने का भी विशेष महत्व है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Raksha Bandhan
मुख्य बातें
  • हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा
  • हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व है
  • रक्षाबंधन के पावन दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं

Importance Of Kalava In Raksha Bandhan: रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन के पावन दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई बहन से राखी बंधवा कर बहन की रक्षा का वचन देता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था तो उनकी बाएं हाथ की अंगुली से खून आने लगा था। यह देखकर द्रोपति बहुत दुखी हो गई थी और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीर कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया था, तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चली आ रही है। 

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रक्षाबंधन के दिन सभी बहनें अपने भाई के लिए रंग-बिरंगी राखियां खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश आप राखी नहीं खरीद पाएं तो निराश होने की बजाय भाई के हाथ में कलावे से रक्षा सूत्र बांधा सकती हैं। भाई के हाथ में कलावा बांधने के पीछे कई पौराणिक कथा है। आइए जानते हैं इसका महत्व..

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जानिए कलावा बांधने का क्या है महत्व

हिंदू धर्म में कलावा का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा पाठ में हाथों में कलावा जरूर बांधा जाता है, इसे मौली व रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। मौली बांधने की परंपरा काफी पुरानी है। रक्षा सूत्र यानी कलावा वैदिक परंपरा का हिस्सा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था, इसलिए रक्षाबंधन में कलावा का भी विशेष महत्व है। राखी की जगह कलावा बांधना भी शुभ माना जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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