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Mysterious Temples: इस मंदिर में होता है चमत्कार, देवी मिठाई नहीं भोग में लेती है शराब 

Updated Aug 21, 2018 | 19:52 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हर एक मंदिर के भोग की अपनी खासियत होती है लेकिन राजस्थान के नागौर जिले में देवी जी का ऐसा मंदिर है, जहां भोग के रुप में मिठाई, नारियल या फूल नहीं बल्कि शराब चढ़ाया जाता है। 

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तस्वीर साभार:&nbspYouTube
Bhanwal Mata temple,

नई दिल्‍ली: भगवान को भोग लगाने की परंपरा हिंदू धर्म में आदिकाल से चली आ रही है। लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार खाने पीने की अच्छी चीजों से भगवान को भोग लगाते हैं और यहीं चीजें बाद में मंदिर के पुजारियों द्वारा भक्तों में प्रसाद के रुप में बांट दी जाती है। 

हर एक मंदिर के भोग की अपनी खासियत होती है लेकिन राजस्थान के नागौर जिले में देवी जी का ऐसा मंदिर है जहां भोग के रूप में मिठाई, नारियल या फूल नहीं बल्कि शराब चढ़ाया जाता है। 

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भंवाल माता को चढ़ती है शराब 
भंवाल माता का यह मंदिर नागौर जिले के मेड़ता तहसील के भंवाल गांव में स्थित है। यहां दूर दराज से लोग मां को शराब का भोग लगाने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि काली मां हर किसी के भोग को स्वीकार भी नहीं करती। वह केवल उन्हीं भक्तों का भोग स्वीकार करती हैं, जो सच्चे दिल से उनकी आराधना करते हैं। 

भंवाल के काली माता मंदिर में दो मूर्तियां हैं। पहली मूर्ति ब्राह्मणी माता की है जिन्हें भक्त मीठा प्रसाद चढाते हैं जिसमें खासतौर पर मिठाइयाँ और मीठे पकवान होते हैं। वहीं दूसरी मूर्ति भंवाल माता की है जिन्हें सिर्फ शराब का भोग लगाया जाता है। 

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माता को चढ़ती है ढाई प्‍याला शराब

दूर दराज से आये भक्तों द्वारा लायी गयी शराब को मंदिर में नहीं रखा जाता है बल्कि उसमें से ढाई प्याला शराब मंदिर में चढ़ाकर बाकी बोतल भक्तों को वापस लौटा दी जाती है। जिसे भक्त प्रसाद के रुप में स्वीकार कर लेते हैं और अपने रिश्तेदारों के बीच में बांंट देते हैं। 

ऐसे लोगों का चढ़ावा स्‍वीकार नहीं...
इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता यह भी है कि अगर भक्त ने चमड़े से बनी कोई भी चीज पहनी हुई है, जैसे कि चमड़े की बेल्ट, पर्स आदि तो ऐसे में मां उस भक्त के चढ़ावे को स्वीकार नहीं करती। यह एक तरह का चमत्कार ही है। 
 

आमतौर पर शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है लेकिन इस मंदिर में चढ़ी हुई शराब को बहुत ही पवित्र माना जाता है और हर वर्ग के लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। अगर आप भी कभी राजस्थान जाएं तो भंवाल स्थित काली माता के मंदिर में दर्शन करना ना भूलें। 

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