नई दिल्ली.भगवन शिव के भारत में कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनके चमत्कार आज भी रहस्य बने हुए हैं। इन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है। मान्यताओं के अनुसार जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में आकाश से भयंकर बिजली गिरती है।
कुल्लू घाटी की मान्यताओं के अनुसार यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। कुछ समय बाद पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है।
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ये है दैत्य की कथा
शिवलिंग पर हर बारह साल में बिजली क्यों गिरती है इसके पीछे भी एक मान्यता है। इस जगह कुलान्त नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था।काफी प्रयास के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है।
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इंद्र गिराते हैं बिजली
शिवजी की बात सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल वार कर दिया। शिव के कहने पर इंद्र गिराते हैं बिजली कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। दरअसल आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। ऐसे में इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं।
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