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Navratri 2021 Day 4, Maa Skandmata Vrat Katha : मां दुर्गा का पांचवां स्‍वरूप हैं स्‍कंदमाता, जानें क्‍या है उनके इस रूप को धारण करने की पौराण‍िक कथा / कहानी

Updated Oct 10, 2021 | 08:05 IST

Navratri 2021 4th Day, Maa Skandmata Vrat Katha In Hindi: नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां का ये रूप संतान का वर देने वाला माना जाता है।

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Maa Skandmata vrat kahani in hindi
मुख्य बातें
  • स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
  • शास्त्रों के अनुसार देवी की आराधना करने से भवसागर पार करने में कठिनाइयां नहीं होती है
  • स्कंदमाता का पूजा मोक्ष का मार्ग दिलाता है

Navratri 2021 5th Day, Maa Skandmata  Vrat Katha In Hindi : नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शास्त्र के अनुसार इन 9 दिनों तक मां दुर्गा स्वर्ग से धरती पर विचरण करती हैं। इन दिनों इनकी पूजा आराधना यदि सच्चे मन से की जाए, तो देवी भक्तों की सभी पीड़ाओं को नष्ट कर जीवन खुशियों से भर देती हैं। नवरात्रि हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और पावन पर्व माना जाता हैं। यह बड़ी धूमधाम से भारत देश में बड़ी धूमधाम मनाया जाता है।

इन नौ जिनों तक भक्त देवी की पूजा आराधना उपवास रहकर करते हैं। नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। नवरात्रा के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्र 2021 में तृतीया व चतुर्थी एक साथ होने की वजह से नवरात्र के चौथे द‍िन पंचमी तिथ‍ि रहेगी और मां स्‍कंदमाता का पूजन क‍िया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता मुक्ति देने वाली देवी कहा जाता है। माता ने असुरों का संहार करने के लिए स्कंदमाता का रूप क्यों लिया, क्या आप जानते हैं। अगर नहीं, तो आइए जाने यहां।

Maa Skandmata vrat kahani in hindi, स्‍कंदमाता की पौराण‍िक व्रत कथा  

पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन कर दिया था। तब ब्रह्माजी प्रसन्न होकर उस राक्षस को साक्षात दर्शन दिए। ब्रह्माजी को देखकर तारकासुर ने भगवान से अमर रहने का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने उसके इस वर को सुनकर उनसे कहा हे पुत्र जो इस धरती पर जन्म लिया उसका मरना निश्चय है।

तब तारकासुर ब्रह्माजी का यह वचन सुनकर निराश होकर फिर से ब्रह्मा जी से कहा कि हे प्रभु कुछ ऐसा करेगी कि मैं शिवजी के पुत्र के हाथों मरू। उसके मन में यह था कि भगवान शिव की विवाह तो होगी नहीं और उनका कोई पुत्र नहीं होगा। इस वजह से उसकी मृत्यु भी नहीं हो सकेगी। तब ब्रह्मा जी तथास्तु कह कर वहां से अंतर्ध्यान हो गए।

फिर तो तारकासुर ने अपने अत्याचार से पूरे पृथ्वी और स्वर्ग को त्रस्त कर दिया। हर कोई उसके अत्याचारों से परेशान हो चुका था। तब भगवान परेशान होकर शिव जी के पास गए। उन्होंने हाथ जोड़ते हुए शिवजी से तारकासुर से मुक्ति दिलाने को कहा। तब भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिक के पिता बनें। बाद में भगवान कार्तिकेय बड़े होकर तारकासुर का वध किये। आपको बता दें स्कंदमाता कार्तिकी ही माता है।

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