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Navratri 2022 Day 1, Maa Shailputri Vrat Katha: इस कथा के पाठ से मिलेगा शुभ फल, मां शैलपुत्री हो जाएंगी खुश

Updated Apr 02, 2022 | 12:23 IST

Navratri 2022 1st Day, Maa Shailputri Vrat Katha In Hindi (मां शैलपुत्री की व्रत कथा): आज भारत में हर जगह नवरात्रि की धूम है। हर कोई श्रद्धा भाव के साथ यह पावन पर्व मना रहा है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री की पूजा के लिए यहां जानें व्रत कथा और पूजा का महत्व।

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Chaitra Navratri 2022 (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का है विधान।
  • मां शैलपुत्री की कथा के बिना अधूरा है व्रत।
  • मां शैलपुत्री की कथा के साथ जानें उनकी पूजा का महत्व।

Navratri 2022 1st Day, Maa Shailputri Vrat Katha In Hindi: आज यानी 02 अप्रेल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। इस वर्ष यह नवरात्रि 09 दिनों तक चलेगी। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। मार्केण्डय पुराण के अनुसार मां शैलपुत्री पर्वतराज यानी शैलराज हिमालय की पुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने की वजह से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। कहा जाता है कि माता शैलपुत्री का वाहन बैल है। जिसकी वजह से उन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री का स्वरूप बहुत अद्भुत माना गया है जो बैल की सवारी करती हैं। उनके बाएं हाथ में कमल और दाएं हाथ में त्रिशूल होता है। जो भक्त मां शैलपुत्री की पूजा करता है वह भयमुक्त रहता है। इसके साथ उसे शांति, यश, कीर्ति, धन, विद्या और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा, मां शैलपुत्री की कहानी 

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने घर पर एक बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में उन्होंने सभी देवी देवताओं और ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया, लेकिन माता सती के पति यानि अपने दामाद भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, माता सती की आग्रह पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।

जब माता सती यज्ञ में पहुंची तो उन्होंने देखा कि राजा दक्ष भगवान शिव के बारे में अपशब्द कह रहे थे। पति के इस अपमान को होते देख माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। यह समाचार सुन भगवान शिव ने अपने गणों को भेजकर दक्ष का यज्ञ पूरी तरह से विध्वंस करा दिया। इसके बाद सती ने शैलपुत्री के रूप में अगला जन्म पर्वतराज हिमालय के घर लिया।

मां शैलपुत्री पूजा का महत्व, Shailputri Puja Importance and significance,

मां शैलपुत्री अत्यंत सरल एवं सौम्य स्वभाव की हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल व्यतीत होता है। जिन कन्याओं के विवाह का योग नहीं बन रहा है उन्हें मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा करनी चाहिए, इससे जल्द ही उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होगी।

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