लाइव टीवी

Navratri 2022 Day 3, Ma Chandraghanta Vrat Katha: असुरों का विनाश करने वाली हैं माता चंद्रघंटा, पौराणिक कथा से जानिए कैसे हुआ जन्म

Updated Apr 04, 2022 | 06:03 IST

Navratri 2022 3rd Day, Maa Chandraghanta Vrat Katha In Hindi (मां चंद्रघंटा की व्रत कथा): नवरात्रि के तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चंद्रघंटा माता को असुरों का वध करने वाली कहा जाता है। जानिए माता चंद्रघंटा की व्रत कथा।

Loading ...
Navratri 2022 Day 3
मुख्य बातें
  • मां चंद्रघंटा की पूजा करने से अशुभ ग्रह के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं।
  • माता की दस भुजाएं हैं प्रत्येक भुजाओं में अलग अलग अस्त्र शस्त्र विराजमान हैं।
  • सिंह पर सवार माता दैत्यों का संहार करती हैं। 

Navratri 2022 3rd Day, Maa Chandraghanta Vrat Katha In Hindi: नवरात्रि के तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा (Ma Chandraghanta) की पूजा की जाती है।  यह मां पार्वती का विवाहित स्वरूप है, जो  साहस और वीरता का अहसास कराता है।। माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, यही कारण है कि माता के इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। माता की दस भुजाएं हैं प्रत्येक भुजाओं में अलग अलग अस्त्र शस्त्र विराजमान हैं। सिंह पर सवार माता दैत्यों का संहार करती हैं। 

मां चंद्रघंटा की पूजा करने से अशुभ ग्रह के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं। धर्म के अनुसार देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर निर्भरता, सौम्यता और विनम्रता जैसी प्रवृत्ति उत्पन्न होती है। मान्यताओं के अनुसार चंद्रघंटा माता को असुरों का वध करने वाली कहा जाता है। क्या आप भी नवरात्रि का व्रत करते हैं, यदि हां, तो यहां आप चंद्रघंटा माता की व्रत कथा देखकर पढ़ सकते हैं।

लंबे समय तक चला था युद्ध (Chandraghanta vrat katha)
प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला। असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवताओं के स्वामी भगवान इंद्र देव थे। महिषासुर ने देवतालोक पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वर्ग लोक पर राज करने लगा। इसे देख सभी देवी देवता चिंतित हो उठे और त्रिदेवों के पास जा पहुंचे। देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, सूर्य, चंद्र और वायु समेत अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और देवतागण पृथ्वी लोक पर विचरण कर रहे हैं।

Also Read: नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त

ऐसे हुआ मां चंद्रघंटा का जन्म (Ma Chandraghanta vrat katha 2022)
देवताओं की बात सुन ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे। क्रोध के कारण तीनों देवों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा में जाकर मिल गई। दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती का अवतरण हुआ। शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया। 

भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया। सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। युद्धभूमि में देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल