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Navratri 5th day: नवरात्र के 5वें दिन इस व‍िध‍ि से करें स्कंदमाता की पूजा, मान-सम्मान के लिए जपें ये मंत्र

Updated Oct 21, 2020 | 06:06 IST

Worship Skandmata on Navratri Fifth Day : नवरात्रि के 5वें दिन स्कन्दमाता की पूजा का विधान है। देवी मान-सम्मान के साथ संतान सुख प्रदान करने वाली मानी गई हैं। जानें देवी की संपूर्ण पूजा क्या है।

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Worship Skandmata on Navratri, नवरात्रि में ऐेसे करें देवी स्कंदमाता की पूजा
मुख्य बातें
  • देवी की पूजा से मनुष्य का सम्मान बढ़ता है
  • देवी संतान प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं
  • देवी की पूजा में पीली चीजों का प्रयोग करना चाहिए

हर किसी को जीवन में मान-सम्मान चाहिए होता है। मनुष्य चाहता है कि उसके बुद्धि-विचार से सभी प्रभावित हों। साथ ही सुखी परिवार के लिए संतान का होना भी बहुत जरूरी होता है। यदि ये सारी ही कामनाएं आप रखते हैं तो आपको नवरात्रि में देवी स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए। मीडिया और फिल्म जगत से जुड़े लोगों को देवी स्कंदमाता की पूजा विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है। स्कंदमाता ने अपनी गोद में अपने प्रिय पुत्र कार्तिकेय को बैठाया और ये मातृत्व का प्रतीक है। देवी अपने भक्तों को बच्चों की तरह मानती हैं। तो आइए जानें स्कंदमाता की पूजा विधि, देवी, महत्व, कथा, मंत्र और आरती के बारे में।  

स्कंदमाता का स्वरूप (Skandmata Ka Swaroop)

माता का यह रूप सफेद रंग का है। स्कंदमाता की गोद में हमेशा उनके पुत्र कार्तिकेय बैठे रहते हैं। देवी की चार भुजाएं हैं और दोनों ही हाथों में कमल के पुष्प थामे हुए हैं। देवी ने अपने तीसरे हाथ से कार्तिकेय को अपनी गोद में बैठा रखा है और चौथे हाथ की मुद्रा आशीर्वाद प्रदान करने वाली है। देवी सिहं पर पद्माआसन की मुद्रा में विराजमान हैं। देवी को कुमार और शक्ति के नाम से भी पुकारा जाता है।

स्कंदमाता की पूजा का महत्व (Skandmata Ki Puja Ka Mahatva)

नवरात्र में देवी की एकाग्र मन से हर किसी को पूजा करनी चाहिए। देवी मान-सम्मान और ऐश्वर्य का प्राप्ति कराती हैं। वह संतान सुख के साथ ही मनुष्य को सुखी वैवाहिक जीवन भी देती हैं। साथ ही यदि किसी का बृहस्पति कमजोर हो तो वह उस ग्रह को मजबूत बनाती हैं। घर के कलेश को दूर कर देवी शांति का माहौल बनाती हैं। उनकी पूजा करने वाला अलौकिक तेज और कांतिमय काया पाता है। लेखन और कला से जुड़े लोगों पर देवी की विशेष कृपा होती है।

स्कंदमाता की पूजा विधि (Skandmata Ki Puja Vidhi)

1. सुबह स्नान करने के बाद देवी की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित कर दें। आसन के लिए पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। फिर उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका भी स्थापित करें। इसके बाद मां को चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बेलपत्र, पुष्प-माला, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य व फल व पान अर्पित करें। अब हाथ में पुष्प लेकर यह मंत्र पढ़ें : (Skandmata Puja Mantra)

सिंहासनागता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

इसके बाद मंत्र के साथ देवी की कथा सुने और धूप और दीप से आरती उतारें।

देवी को फूल और भोग आर्पित करें (Offer yellow flowers and Bhog to Goddess)

देवी का प्रिय रंग पीला है और इस दिन देवी को वस्त्र से लेकर आसन और फूल व भोग भी पीले रंग के ही अर्पित करने चाहिए। इस दिन आप देवी को केले का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में केसर की खीर देवी को चढ़ाएं।

स्कंदमाता की कथा (Skandmata Ki Katha)

कार्तिकेय देवताओं के कुमार सेनापति हैं। पुराणों में कार्तिकेय को सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से भी पुकारा गया है। देवी स्कंदमाता मातृत्व से भरी हैं और अपने पुत्र को मातृत्व प्रेम प्रदान करती हैं। देवी शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों से मनुष्य और देवताओं को मुक्त करती हैं। देवी संतों की रक्षा करने वाली हैं। स्कंदमाता पर्वतराज हिमालय की पुत्री भी है, इसलिए इन्हें माहेश्वरी  व गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं। भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।

स्कंदमाता के मंत्र (Skandmata Ke Mantra)

1.सिंहासनागता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

2.या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3.ॐ स्कन्दमात्रै नम: 4.ॐ ऐं श्रीं नम: दुर्गे स्मृता हरसि भीतिम शेष-जन्तोः, स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव-शुभां ददासि। दारिद्रय दुख भय हरिणी का त्वदन्या, सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता नमो श्रीं ॐ।।

स्कंदमाता की आरती (Skandmata Ki Aarti)

जय तेरी हो अस्कंध माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता।

सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।

तेरी ज्योत जलाता रहूं, मैं हरदम तुम्हे ध्याता रहू।

मै कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।

कही पहाड़ो पर है डेरा, कई शेहरो मै तेरा बसेरा।

हर मंदिर मै तेरे नजारे, गुण गाये तेरे भगत प्यारे।

भगति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे ।

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये।

दासो को सदा बचाने आई, 'चमन' की आस पुजाने आई ।।

देवी का मातृत्व रूप बहुत ही दयालु है और आप देवी को पूजा कर उन्हें आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं।

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