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Paush Purnima 2022: पौष पूर्णिमा की पावन तिथि आज, यहां जानें चांद का समय और सही पूजा विधि

Updated Jan 17, 2022 | 15:30 IST

Paush Purnima 2022: पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य देव के साथ चंद्र देव की पूजा करने का भी विधान है। यहां जानें पौष पूर्णिमा पर चांद का समय और पूजा विधि।

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पौष पूर्णिमा 2022
मुख्य बातें
  • आज है वर्ष 2022 की पहली पूर्णिमा तिथि। 
  • पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पौष पूर्णिमा कहलाती है। 
  • पौष पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। 

Paush Purnima 2022 Moon Rise Time And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। पौष माह की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा और शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्यदेव, चंद्र देव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करने से धन-दौलत में वृद्धि हौती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। कहा जाता है कि पौष पूर्णिमा पर भक्तों को भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करने से सौभाग्य बढ़ता है। ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा पर सत्यनारायण जी की कथा का पाठ करने से शुभता आती है। यहां जानें पौष पूर्णिमा के दिन चांद का समय क्या है और इस दिन पूजा कैसे करनी चाहिए। 

पौष पूर्णिमा 2022 चांद का समय (Paush Purnima 2022 Moon Rise Time In Hindi)

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पौष पूर्णिमा प्रारंभ तिथि: - 17 जनवरी 2022 तड़के 03:18

पौष पूर्णिमा समापन तिथि: - 18 जनवरी 2022 प्रात: 05:17 

पौष पूर्णिमा पर चंद्रोदय: - शाम 05:10

पौष पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त: - दोपहर 12:10 से दोपहर 12:52 तक

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पौष पूर्णिमा की पूजा विधि (Paush Purnima 2022 Puja Vidhi) 

हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा की तिथि बहुत विशेष मानी गई है। अगर आप पौष पूर्णिमा पर व्रत रखने वाले हैं तो इस दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इस दिन किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना शुभ माना गया है। स्नान करने से पहले वरुण देव को प्रणाम करें फिर स्नान करने के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। फिर भगवान मधुसूदन और माता लक्ष्मी की पूजा करें। शाम के समय चंद्र देव की अराधना भी करें। पूजा के बाद दान-दक्षिणा दें। इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं और तिल, गुड़, कंबल और वस्त्र दान में दें। 

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