लाइव टीवी

Pitru Paksha 2022: आखिर गया में ही क्यों होता है पिंडदान? जानिए क्या है मान्यता

Updated Sep 20, 2022 | 18:01 IST

Pitru paksha 2022: पितृपक्ष में हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट और पुष्कर जैसे धार्मिक स्थलों पर श्राद्धकर्म करना विशेष माना जाता है। लेकिन गया में श्राद्ध सर्वोपरि है। ऐसा कहते हैं कि गया में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें सीधे स्वर्ग लोक प्राप्त होता है। यही कारण है कि हर साल दूर-दूर से लोग गया में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने पहुंचते हैं।

Loading ...
गया में पितरों का श्राद्ध करने से मिलता है मोक्ष
मुख्य बातें
  • गया में पिंडदान करने का है विशेष महत्व
  • हर साल लाखों लोग गया में पिंडदान करते हैं
  • गया में पिंडदान से पितरों की आत्मा को मिलती है शांति

Pitru paksha 2022: इस साल श्राद्धपक्ष 10 सितंबर को शुरू हुआ था, जिसका समापन 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगा। 15 दिन की इस अवधि में लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। वैसे तो श्राद्धकर्म के लिए हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट और पुष्कर सहित कई प्रमुख स्थान है, लेकिन इसके लिए गया की धरती को सर्वोपरि माना जाता है। गया में पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहते हैं कि यहां पिंडदान करने से निश्चित ही पूर्वजों को स्वर्ग में जगह मिलती है।

पिंडदान के लिए क्यों खास है गया?

गया में श्राद्धकर्म का गुणगान तो खुद भगवान श्रीराम ने भी किया है। ऐसा कहा जाता है कि माता सीता ने अपने ससुर यानी राजा दशरथ का पिंडदान भी गया की धरती पर ही किया था। सीता ने वट वृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाया और फल्गु नदी के किनारे राजा दशरथ का पिंडदान कर दिया। दरअसल परिवार में किसी एक सदस्य को ही 'गया' करने का अधिकार होता है। यहां गया का अर्थ है गया में पिंडदान करना।

Also Read: Surya Dev Puja: रविवार के दिन जरूर करें इन 5 चीजों का दान, मिलेगी सूर्यदेव की कृपा

वाल्मीकि की रामायण में बताया गया है कि राजा दशरथ का पिंडदान माता सीता ने किया था और तभी उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था। वनवास के समय राम और लक्ष्मण श्राद्ध की सामग्री जुटाने नगर की ओर चले गए थे। इस बीच सीता ने गया जाकर अपने ससुर का पिंडदान किया था। बस तभी से गया की धरती पर पिंडदान करने का चलन बढ़ गया.

Also Read: Vastu Tips: एक्वेरियम में कितनी मछलियों को रखना है शुभ, सुनहरी मछली का ये नियम लाभ देगा

भगवान विष्णु की नगरी है गया

गया को भगवान विष्णु की नगरी और मोक्ष की भूमि कहा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, गया में श्राद्ध पितरों को सीधे स्वर्ग के दरवाजे पर ले जाता है। यहां पितरों का श्राद्ध और दान धर्म के कार्य करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहते हैं कि यहां भगवान विष्णु स्वयं पितृ देव के रूप में विराजमान रहते हैं, इसलिए इसे पितरों का तीर्थ भी कहा जाता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल