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जानें, बलशाली और पराक्रमी होने के बाद भी हनुमान जी लंका से माता सीता को क्यों नहीं लाए

Updated Jun 16, 2020 | 20:10 IST

Ramayan Facts / Bajrangi Ka Bal : हनुमान जी परमशक्तिशाली और पराक्रमी होने के बाद भी लंका से माता सीता की सूचना लाए, लेकिन उन्हें नहीं। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों?

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Hanuman Ji Facts : सीता मां को लंका से क्‍यों नहीं लाए हनुमान
मुख्य बातें
  • माता अंजनी को बजरंगबली ने बताया था कारण
  • क्यों नहीं लाए थे लंका से माता सीता को साथ
  • श्रीराम की आज्ञा पालन से जुड़ा था कारण

हनुमान जी इतने शक्तिशाली और बलशाली थे कि वह आसानी माता सीता को लंका से लेकर प्रभु श्रीराम को लेकर आ सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह केवल प्रभु श्रीराम के पास उनकी सूचना लेकर आए। इस सवाल को बजरंगबली की माता अंजनी ने भी उनसे पूछा। बहुत कम लोग इस प्रकरण के पीछे की वजह को जानते हैं। यदि आप भी इस प्रकरण से अनजान है, तो आपको बजरंगबली और माता अंजनी के बीच हुई बात को जानना जरूरी है, कि क्यों हनुमानजी, माता सीता को पहली बार देखने के बाद भी साथ नहीं लाए।

हनुमानजी को भगवान शिव का ग्यारहवां अवतार माना गया है और उनके पास इतनी शक्तियां है कि वह जो चाहे कर सकते हैं। वह अत्यंत छोटे या अत्यंत विशालकाय जैसे कई रूप धारण कर सकते थे। उनमें अत्यंत बल और पराक्रम समाहित है, यही कारण है कि उनकी पूजा से हर तरह के संकट दूर हो सकते हैं। बावजूद इसके वह माता सीता को देखने के बाद भी साथ लेकर भगवान श्रीराम के पास नहीं आए थे।  

माता अंजनी ने पूछा था सवाल

एक बार बजरंगबली अपनी माता अंजनी को रामायण पढ़ कर सुना रहे थे। यह प्रसंग तब का था जब रामायण खत्म हो चुकी थी और रामायण का वाचन किया जाने लगा था। रामायण सुनते हुए माता अंजनी ने उनसे पूछा- तुम इतने शक्तिशाली और पराक्रमी थे कि तुमने रावण की लंका जला दी, तुम संजीवीनी पर्वत तक उठा लाएं, तो फिर तुम माता सीता को क्यों नहीं लाए? यदि तुमने ऐसा किया होता युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता?

प्रभु श्रीराम की आज्ञा का किया था पालन

माता अंजनी के प्रश्न को सुनकर हनुमानजी ने विनम्रता से माता अंजनी को बताया कि प्रभु श्रीराम ने उन्हें माता की खोज के लिए भेजा था और माता मुझे जब मिल गईं तो मैं प्रभु की आज्ञा का पालन करते हुए उनको यह सूचना देने आ गया। बजरंगबली ने कहा, क्योंकि प्रभु श्रीराम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा था, इसलिए मैंने नहीं किया।  मैं उतना ही करता हूं माते, जितना मुझे प्रभु श्रीराम कहते हैं और वे जानते हैं कि मुझे क्या करना है। इसलिए मैं अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता और वही करता हूं, जितना मुझे बताया गया है।

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