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Rishi Panchami 2022 Katha: क्यों रखा जाता है ऋषि पंचमी का व्रत? माहवारी से जुड़ी है इस व्रत की कथा

Updated Sep 01, 2022 | 10:25 IST

Rishi Panchami 2022: पौराणिक परंपराओं के अनुसार, ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा का विधान है। यह त्योहार हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी के बाद ही मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों की विधिवत पूजा के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है और कथा सुनी जाती है।

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Rishi Panchami 2022 katha
मुख्य बातें
  • ऋषि पंचमी पर कैसे करें सप्तऋषियों की पूजा?
  • जानें, आखिर क्यों रखा जाता है ऋषि पंचमी का व्रत
  • महिला की माहवारी से जुड़ी है इसकी कथा

Rishi Panchami 2022 Katha: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक परंपराओं के अनुसार, ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा का विधान है। यह त्योहार हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी के बाद ही मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों की विधिवत पूजा के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है और कथा सुनी जाती है। ऋषि पंचमी का त्योहार इस साल गुरुवार, 01 सितंबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस त्योहार का महत्व क्या है और इस दिन ऋषियों की उपासना कैसा की जाती है।

ऋषि पंचमी की तिथि
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि बुधवार, 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है और आज यानी गुरुवार, 01 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा। उदिया तिथि के कारण ऋषि पंचमी 01 सितंबर को ही मनाई जाएगी।

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ऋषि पंचमी की पूजन विधि
ऋषि पंचमी का त्योहार सप्तऋषियों को समर्पित है। इन ऋषियों के नाम हैं- ऋषिमुनि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज। ऋषि पंचमी के दिन सुबह स्नादि करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। आप चाहें तो किसी पवित्र नदी के घाट पर जाकर आस्था की डुबकी ले सकते हैं। किसी पवित्र स्थान पर आटे या हल्दी से चौकोर मंडल बनाएं और उस पर सप्तऋषियों को स्थापित करें। उन्हें फल, फूल और मिठाई अर्पित करें और उनसे मंगलमयी जीवन की कामना करें। ऐसा कहते हैं कि इस दिन सप्तऋषियों की उपासना करने से पापों का नाश होता है।

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कथा
विदर्भ नाम का एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। उसका एक बेटा और एक बेटी थी। पिता ने अपने एक योग्य वर देखकर अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर दिया। जल्दी ही उसके पति की अकाल मृत्यु हो गई। विदर्भ की पत्नी ने एक बार देखा कि उसकी विधवा बेटी के शरीर में कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। ये देख वो चिंता में पड़ गई। उसने अपने पति से पूछा कि हमारी बेटी की ये दशा कैसे हो गई। तब उसने ईश्वर का ध्यान लगाया और बताया कि पूर्व जन्म में उनकी पुत्री ने माहवारी के दौरान घर के बर्तन छू लिए थे। इस वजह से आज उसकी ये दशा है। उन्होंने बताया कि यदि उनकी बेटी इस जन्म में ऋषि पंचमी का व्रत करेगी तो निश्चित ही उसे इस पाप से मुक्ति मिल जाएगी।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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