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Sanjha Festival: श्राद्धपक्ष के दौरान मनाया जाता है सांझा पर्व, ग्रामीण क्षेत्रों में गाए जाते हैं ये लोकगीत

Updated Sep 04, 2022 | 17:04 IST

Sanjha Festival 2022: सांझा लोकपर्व को भारत के कई प्रदेशों में मनाया जाता है। पितृपक्ष के 16 दिनों में सांझा पर्व मनाया जाता है। इसमें बालिकाएं संध्या माता या संझा माता की पूजा की जाती है। इस दौरान लोकगीत भी गाए जाते हैं।

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सांझा पर्व में गाए जाते हैं संजा माता के गीत
मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मनाया जाता है सांझा पर्व
  • श्राद्ध पक्ष में मनाया जाता है सांक्षा पर्व
  • सांझा पर्व में बालिकाएं गोबर से आकृति बनाकर करती है संझा माता की पूजा

Sanjha Sanjhi 2022 Festival Lokgeet: हिंदू धर्म में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। भारतीय संस्कृति में कई पर्व और कई लोकपर्व भी मनाए जाते हैं। इन्हीं में एक है सांझा पर्व। सांझा एक लोकपर्व है जिसमें चौपाल पर संझा बनाई जाती है और बालिकाएं एकत्रित होकर मां पार्वती के रूप संझा माता की पूजा करती है। हालांकि अब यह पर्व खासतौर पर गांवों में ही मनाया जाता है। खासतौपर पर मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में लोग इसे मनाते हैं। सांझा पर्व की शुरुआत पितृपक्ष के साथ होती है और पूरे 16 दिनो तक चलती है। बालिकाएं दीवार पर गोबर से आकृति बनाकर पूजा करती है, इसे संजा या संझा माता कहा जाता है। फिर 17 वें दिन इन आकृतियों का विसर्जन किया जाता है। इस दौरान संझा गीत भी गाए जाते हैं। जानते हैं सांझा पर्व में गाए जाने वाले लोकगीतों के बारे में।

सांझा पर्व के प्रमुख लोकगीत

1.संजा के पीछे मेंदी को झाड़, मेंदी को झाड़
एक एक पत्ती जुठी जाय, जुठी जाय
उधर से आयो मामो मामो
मामो लायो जरी की साड़ी

मामी लाइ मेथी
मेथी से तो माथो दुखे घी का घेवर भावे

2. अणि कुड़ा (कुआ) पे कुण कुण पोथी बाचेरे भम्मरिया
अणि कुड़ा पे चांद सूरज वीरों पोथी बांचे रे भम्मरिया

चांद सूरज भायो तो यूं के
की म्हाने झमक सी लाडी लइदो रे भम्मरिया

झमक सी लाडी ने ओढ्ता नई आवे, पेरता नी आवे
संजा ननद ने बुलई दो रे भम्मरिया

संजा ननद को ऊंचो नाक, नीचो नाक
अटलक टिकी,वटलक टिकी
मोत्यां से मांग भरई दो रे भम्मरिया।।

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3. संजा जीमेल ,जुठले जिमाऊ सारी रात
चट्टक चांदनी की रात फुल्ला भरी है परात
एक फुल्लों टूटी गयो ने संजा माता रुसगी

4. गाड़ी नीचे जीरो बोयो सात सहेल्यां जी,

अणि जीरा की साग बनाई सात सहेल्यां जी

साग बनाई ने वीरा जी ने मेलि सात साहेल्या जी

विराजी के म्हणे खाटी खाटी लागे सात सहेल्यां जी

वाई खीर मैं भैस ने दे दी सात सहेल्यां जी

5. संजा तो मांगे हरो हरो गोबर
कहां से लाउ भई हरो हरो गोबर

किसान घरे जऊं व्हां से लाउं
ले भई संजा हरो हरो गोबर,
संजा तो मांगे  हरो पीला फुलड़ा
कहां से लाऊं भई  हरा पीला फुलड़ा
माली घरे जऊ  व्हां से लऊं
ले भई संजा हरा पीला फुलड़ा।

संजा तो मांगे दूध पतासा 
कहाँ से लउं भई  हलवाई घरे जाऊ
व्हां से लाउं के भई संजा दूध पतासा

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बता दें कि  हिंदू कैलेंडर के अनुसार सांझा पर्व भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक मनाया जाता है। इस बार सांझा पर्व की शुरुआत श्राद्ध पक्ष के साथ शनिवार 10 सितंबर 2022 से हो रही है जोकि रविवार 25 सितंबर 2022 को समाप्त होगी।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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