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Sankashti Chaturthi: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से मिलता है ऐश्वर्य और संतान का वरदान, जानें पूजन विधि

Updated Aug 19, 2019 | 10:37 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से सारी नकारात्मकता दूर होती है और परिवार वालों के बीच में शांति बनी रहती है। संकष्टी चतुर्थी को बहुला चतुर्थी भी कहते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Sankashti Chaturthi
मुख्य बातें
  • इस खास दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं
  • श्री गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को पूरे विधि विधान से इनकी पूजा करनी चाहिए
  • पूजा संपन्न होने के बाद शाम के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपना उपवास खोलें

Sankashti Chaturthi: आज यानि सोमवार, 19 अगस्‍त 2019 को संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत है। शास्त्रों में इस व्रत का बड़ा महत्‍व बतलाया गया है। संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेषरूप से श्रीगणेश की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि इस खास दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को पूरे विधि विधान से इनकी पूजा करनी चाहिए। 

संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से सारी नकारात्मकता दूर होती है और परिवार वालों के बीच में शांति बनी रहती है। संकष्टी चतुर्थी को बहुला चतुर्थी भी कहते हैं। अब यहां जानें श्रीगणेश की पूजा विधि... 

इस विधि से करें श्री गणेश की पूजा 

  • सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रिया करने के बाद साफ पानी से स्नान करें। 
  • उसके बाद  लाल रंग का वस्त्र पहनें।
  • दोपहर के समय घर में देवस्थान पर सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी या फिर तांबे की श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद संकल्प करें और षोडशोपचार पूजन करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
  • ॐ गं गणपतयै नम:' का जाप करें 
  • अब भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाएं और 'ॐ गं गणपतयै नम:' का जाप करते हुए 21 दूर्वा भी चढ़ाएं। 
  • इसके बाद श्रीगणेश को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं और इन लड्डूओं को चढ़ाने के बाद इनमें से पांच लड्डू ब्राह्मणों को दान कर दें, जबकि पांच लड्डू गणेश देवता के चरणों में छोड़ दें और बाकी प्रसाद के रुप में बांट दें। 
  • पूरी विधि विधान से श्री गणेश की पूजा करते हुए श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें।

पूजा संपन्न होने के बाद शाम के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपना उपवास खोलें और खुद भी फलाहार या भोजन करें। संकष्टी चतुर्थी पर इस तरीके से पूजा करना सफल होता है और घर में सुख एवं समृद्धि से भर जाता है।

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