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Hariyali Teej 2022: हरियाली या श्रावणी तीज व्रत पर जरूर सुनें मां पार्वती के पूर्वजन्म की कथा

Updated Jul 26, 2022 | 20:20 IST

Hariyali Teej 2022 Katha: सावन माह में पड़ने वाली हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है। पूजा में हरियाली तीज की व्रत कथा जरूर पढ़ें। इस कथा का पाठ करने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है।

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हरियाली तीज
मुख्य बातें
  • माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए की थी कठोर तपस्या
  • माता पार्वती के पूर्वजन्म से जुड़ी है श्रावणी तीज की कथा
  • 31 जुलाई 2022 को रखा जाएगा हरियाली तीज का व्रत

Sawan Hariyali Teej 2022 Puja and Katha: हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल हरियाली तीज का व्रत गुरुवार 31 जुलाई  2022 को रखा जाएगा। हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति के स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर दुल्हन की तरह सजती है। इस दिम माता पार्वती और भगवान शिवजी की पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा में हरियाली तीज की कथा जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए, तभी व्रत सफल माना जाता है।

कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किए। भगवान शिव ने स्वयं माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म की कथा सुनाई थी। इसलिए हरियाली तीज पर महिलाओं को ये कथा जरूर सुननी चाहिए। इससे माता गौरी के साथ शिवजी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। जानते हैं हरियाली तीज की पौराणिक कथा के बारे में..

हरियाली तीज व्रत कथा

शिवजी माता पार्वती को उन्हें पूर्वजन्म का स्मरण कराते हुए कहते हैं- हे पार्वती! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तप किया था। तुमने अन्न-जल का त्याग कर सर्दी, गर्मी और बरसात जैसे सभी ऋतुओं का कष्ट सहा। यह देखकर तुम्हारे पिताजी पर्वतराज बहुत दुखी थे। एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा-मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। विष्णुजी आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न हुए और उनके साथ विवाह करना चाहते हैं।

नारद मुनि की बात सुनकर पिता पर्वतराज अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी से कहा कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के साथ कराने के लिए तैयार हो गए। यह सुनते ही नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें सूचित किया।

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भगवान शिव पार्वती से कहते हैं, लेकिन तुम्हारे पिता ने जब यह खबर तुम्हें सुनाई तो तुम्हें अत्यंत दुख हुआ। क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी। तब तुमने अपने मन की पीड़ा अपनी एक सखी को बताई। इस पर सखी ने तुम्हें एक घनघोर जंगल में रहने का सुझाव दिया। तुम जंगल चली गई और जंगल में तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए खूब तपस्या की। जब तुम्हारे लुप्त होने की बात पिता पर्वतराज को पता चली तो वे अत्यंत दुखी और चिंतित हुए। वे सोचने लगे कि यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आए तो क्या होगा।

शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं, तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक कर दिया। लेकिन तुम उन्हें न मिली। क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी। तब मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का तुम्हें वचन दिया। इस बीच तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक पहुंचे। तुमने अपने पिता को सारी बाते बताई। तुमने पिता को बताया कि तुमने अपना जीवन शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप में बिताया है और आज वह तपस्या सफल हो गई। तुमने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह शिवजी से कराएंगे।

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पर्वतराज मान गए और उन्होंने विधि-विधान से हमारा विवाह कराया। शिवजी कहते हैं, हे पार्वती! तुमने तो कठोर तप किया है उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हुआ। इसलिए जो स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करती है उसे मैं मनवांछित फल देता हूं। इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को तुम जैसे अचल सुहाग की प्राप्ति हो।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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