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Sawan Pradosh Vrat: सावन माह में और अधिक बढ़ जाता है प्रदोष व्रत का महत्व, शिवजी करते हैं हर मनोकामना पूरी

Updated Jul 18, 2022 | 06:07 IST

Sawan Pradosh Vrat 2022: पूरे साल में 24 और हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ती है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। लेकिन सावन माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का काफी महत्व होता है। इस साल सावन का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई को है।

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सावन प्रदोष व्रत
मुख्य बातें
  • 25 जुलाई को पड़ेगा सावन का पहला प्रदोष व्रत
  • सावन का पहला प्रदोष व्रत कहलाएगा सोम प्रदोष व्रत
  • सावन में कई गुणा बढ़ जाता है सोम प्रदोष व्रत पूजा का महत्व

Sawan Month Pradosh Vrat Puja 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है। लेकिन सावन माह में पड़ने वाला प्रदोष व्रत कई मायनों में खास होता है। क्योंकि सावन भगवान शिव का प्रिय माह होता है और ऐसे में सावन में शिवजी को समर्पित सभी पूजा और व्रत से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस साल सावन माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार 25 जुलाई 2022 को रखा जाएगा। सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।  इस माह सावन माह का पहला प्रदोष व्रत बेहद शुभ संयोग में पड़ रहा है, जिसमें व्रत रखना उत्तम रहेगा और भगवान शिवजी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।

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प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

सावन त्रयोदशी तिथि आरंभ- सोमवार 25 जुलाई शाम 04:15 से

सावन त्रयोदशी तिथि समाप्त- मंगलवार 26 जुलाआ शाम 06:4 तक

पूजा के लिए शुभ समय- 25 जुलाई शाम 07:17 से रात्रि 09:21 तक

इसलिए खास है सावन का पहला प्रदोष व्रत

इस साल सावन माह में पड़ने वाला पहला प्रदोष व्रत कई मायनों में खास है। क्योंकि सावन प्रदोष व्रत बेहद शुभ संयोग में रखा जाएगा। सावन महीना भगवान शिवजी की पूजा को समर्पित होता है और प्रदोष व्रत का पूजा-व्रत भी भगवान शिवजी के समर्पित है। वहीं सावन का पहला प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है। सोमवार का दिन भी भगवान शिवजी की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में इस बार खास संयोग में सावन में प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने और व्रत रखने शुभ फलों की प्राप्ति का लाभ कई गुणा बढ़ जाता है।

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प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर पूजाघर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन व्रत रखें और पूजा के मुहूर्त पर पूजा करें। मंदिर या घर पर आप प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं। पूजा में शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करें। फिर भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें। फिर धूप-दीप जलाएं और प्रदोष प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। पूजा के बाद शिवजी की आरती करें। इस दिन शिवजी के साथ माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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