- सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा
- यह पूरा माह शिवजी के लिए समर्पित होता है
- सावन के सोमवार के व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानकर सफेद वस्त्र धारण करें
How to worship Lord Shiva: सावन के महीने की शुरुआत आज यानि 17 जुलाई से शुरू हो गई है। इसी के साथ व्रत और त्यौहारो का भी सिलसिला शुरू हो चुका है। बता दें कि सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा। वहीं सावन का अंतिम सोमवार 15 अगस्त को होगा। यह पूरा माह शिवजी के लिए समर्पित होता है। बाबा भोले की पूजा सावन में विशेष फलदायक मानी गई है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देवी पार्वती ने सावन महीने में ही निराहार व्रत रखकर महादेव का मन मोह कर उन्हें प्रसन्न किया और उनसे विवाह किया था। माना जाता है भगवान शिव को यह महीना विशेष प्रिय है और जब उनके भक्त उन्हें इस माह में अपनी भक्ति से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं तो वह तुरंत ही प्रसन्न हो जाते हैं।
वैसे माना यह भी गया है कि भोले भंडारी अत्यंत भोले हैं और वह बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। शिव जी के पुराणों में तीन व्रत बताए गए हैं। सोमवार क्योंकि यह उनका दिन होता है इसलिए प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार व्रत। इन सभी यानी तीनों व्रत की पूजा विधि एक ही होती है। तो आइए जाने की भगवान शिव को सावन में कैसे विधिवत पूजें और उनके कृपा पात्र बनें।
सावन में बाबा भोले की भक्ति और पूजा के जानिए नियम
सावन के सोमवार के व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानकर सफेद वस्त्र धारण करें। यदि पूजा घर में कर रहें हैं तो घर को साफ कर गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें। इसके बाद भगवान शिव की तस्वीर या पारद के शिवलिंग को स्थापित कर पूजा करें। याद रखें की घर में पारद या नर्मदेश्वर शिवलिंग के आलवा कोई अन्य शिवलिंग नहीं होना चाहिए। यदि मंदिर में पूजा करने जा रहे हो तो पूजा का सामान ढक कर ही बाहर निकलें। साथ ही पूजा मंदिर में करें या घर में कोशिश करें आसान पर बैठ कर करें। साथ ही पूजा करते समय आपका पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
सावन में शिव पूजा की सामग्री
जल कलश, गंगा जल, कच्चा दूध, दही, घी, शहद, चीनी, केसर, वस्त्र, चन्दन रोली, मौली, चावल (अक्षत), फूलमाला, फूल, जनेऊ, इत्र, बेल पत्र, आंक, धतूरा, भांग, कमल गट्टा, पान, लौंग, इलायची, सुपारी, धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, फल, मेवा, मिठाई, नारियल और दक्षिणा।
इस विधि से करें बाबा भोले की पूजा-अर्चना
1. शिवलिंग का स्नान हमेशा तांबे के बर्तन में जल से कराएं।
2. कोशिश करें कि स्नान गंगा जल से कराएं अगर संभव न हो तो गंगा जल की कुछ बूंदे जल में डाल लें।
3. इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का पंचामृत बना कर उससे शिवजी को स्नान कराएं।
4. इसके बाद केसर या हल्दी के जल से बाबा को स्नान कराएं।
5. अब भगवान को पोंछ कर उन्हें चन्दन लगाएं।
6. इसके बाद मौली, जनेऊ, वस्त्र आदि उन्हें पहनाएं।
7. वस्त्र के बाद अब उन्हें इत्र और पुष्प माला अर्पित करें।
8. इसके बाद भगवान पर बेल पत्र, भांग, धतूरे का फूल आदि चढ़ाएं। बेल पत्र 5,11, 21, 51 की संख्या में लें।
9. अब धूप-दीप दिखा कर भगवान को सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
10. इसके बाद पान, नारियल और दक्षिणा चढ़ाएं और नतमस्तक होकर प्रभु के सामने हाथ जोड़कर 'जय शिव ओमकारा' आरती करें।
11. आरती के बाद क्षमा मंत्र बोलें।
क्षमा मन्त्र इस प्रकार है :
'आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:'
फूलों के प्रकार व रंग से जाने फल प्राप्ति के योग
बेल पत्र चढ़ाने से रोग मुक्ति, धतूरे का फूल पुत्र की प्राप्ति , चमेली का सफेद फूल चढ़ाने से वाहन सुख, धन की प्राप्ति के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या जूही का फूल चढ़ाएं , विवाह के लिए बेला के फूल चढ़ाएं, मन की शांति के लिए शेफालिका के फूल चढ़ाना चाहिए। जबकि पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनेर का फूल चढ़ाएं।
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