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Mata ki chowki: घर में बैठा रहे हैं 'माता की चौकी' तो ध्यान रखें भजनों का ये क्रम, इनके बिना अधूरी है आराधना

Updated Sep 22, 2022 | 10:55 IST

Navratri 2022: नवरात्रि में माता की चौकी लगाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इसमें मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भजन गाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसमें भजनों का सही क्रम जानें बिना आप देवी के भजन नहीं गा सकते हैं।

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जानें, माता की चौकी में भजनों का क्या होता है क्रम
मुख्य बातें
  • माता की चौकी में कैसे गाएं भजन?
  • सीधे माता के भजन गाने की ना करें गलती
  • जानें, भजनों का सही क्रम और प्रसाद

Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से होने वाली है। नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त उनके नौ स्वरूपों की उपासना करते हैं। इन नौ दिनों के भीतर लोग अपने घरों में माता की चौकी लगाते हैं और भजन, कीर्तन करते हैं। कहते हैं कि नवरात्रि में देवी के भजनों को गाने से वो प्रसन्न होती हैं और मन की सारी इच्छाओं को पूरा करती हैं। जागरण, कीर्तन या माता की चौकी में भजन गाने का एक निश्चित क्रम होता है। अगर नवरात्रि में आप भी माता की चौकी लगाने जा रहे हैं तो पहले भजनों का ये क्रम अच्छी तरह से समझ लीजिए।

गणेश भजन से शुरुआत

कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य गणपति जी को स्थापित किए बगैर प्रारंभ नहीं होता है। हर विशाल जागरण, कीर्तन की शुरुआत गणेश भजन के साथ ही होती है। ऐसा कहते हैं कि इनका नाम लेकर शुरुआत करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। इसलिए माता की चौकी में सबसे पहले भगवान गणेश का भजन गाएं।

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श्री हरि को ना भूलें

भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक कहा जाता है। अनुष्ठानों में इनका नाम लेने से तीनों लोकों के देवता आमंत्रित हो जाते हैं। इसलिए देवी का गुणगान करने से पहले भगवान विष्णु का कम से कम एक भजन जरूर गाएं। इसके बगैर जागरण, कीर्तन संपन्न नहीं माने जाते हैं।

माता के 5 भजन

भगवान गणेश और श्री हरि को याद करने के बाद देवी के पांच भजन गाए जाते हैं। इन भजनों में मां दुर्गा की चमत्कारी शक्तियों का गुणगान होता है। मां दुर्गा के नौ स्वरूप होते हैं, आप चाहें तो इन स्वरूपों के आधार पर भी भजन गा सकते हैं। ध्यान रहे कि देवी के भजन गाते वक्त मन में सच्ची श्रद्धा और विश्वास होना बहुत जरूरी है, तभी इनकी उपासना सफल मानी जाती है।

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भैरव और लांगुरिया का भजन

मां दुर्गा के भजन गाने के बाद भी ये अनुष्ठान पूरा नहीं माना जाता है। देवी के भजन गाने के बाद बाबा भैरव और लांगुरिया का भी कम से कम एक भजन गाना जरूरी है। इनका नाम लिए बगैर माता की चौकी संपन्न नहीं मानी जाती है। दरअसल भैरव को मां दुर्गा से यह वरदान मिला था कि देवी की पूजा-उपासना के बाद भैरव का नाम लेना भी जरूर होगा। तभी लोग आदि शक्ति के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन करना कभी नहीं भूलते।

प्रसाद

भजन का सिलसिला थमने के बाद माता की चौकी में बैठे भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है। वैसे तो माता को नौ तरह के भोग लगाए जाते हैं, लेकिन आप गाय के घी से बना हलवा और काले चने का प्रसाद भी बना सकते हैं। यह भोग पहले मां दुर्गा को लगाएं और इसके बाद इसे सभी लोगों में बांटें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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