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Shivling Puja Niyam : जानें, क्यों की जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा, इन महत्वपूर्ण नियमों का भी रखें ध्यान

Updated Sep 14, 2020 | 06:59 IST

Shiv Dham, Shivlinga Puja Niyam: भगवान शिव की पूजा शिवलिंग और प्रतिमा दोनों ही रूपों में होती है। प्रतिम की पूजा तो समान्य रूप से होती है, लेकिन शिवलिंग की पूजा के कुछ नियम हैं।

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Rules related to Shivling, शिवलिंग से जुड़े नियम
मुख्य बातें
  • शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं तरफ से शुरू करें
  • शिवलिंग की जलाधारी को लांघने की भूल न करें
  • पूर्ण परिक्रमा से मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ते हैं बुरे प्रभाव

शिवलिंग की पूजा के साथ ही उनकी रखने की तरीके के भी कुछ नियम शास्त्रों में बताए गए हैं। इतना ही नहीं शिवलिंग की परिक्रमा के संबंध में भी नियम हैं। यदि नियमों का उल्लंघन किया जाए तो शिव पूजा के फल नहीं मिलते और शिवजी भी नाराज होते हैं। इसलिए शिवलिंग की पूजा करने और घर में स्थापित करने से जुड़ी हर जानकारी को जान लें। शिवलिंग पर चढ़े भोग को खाने और उसे चढ़ाने के बारे में भी जरूर जानना चाहिए, क्योंकि इसके लिए भी अलग निमय बताए गए हैं। तो आइए आपको शिवलिंग से जुड़े संपूर्ण नियम से अवगत कराएं।

परिक्रमा से जुड़े नियम

समान्य रूप से सभी देवी और देवताओं की प्रतिमा की परिक्रमा पूरी की जाती है, लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा कभी पूरी नहीं करनी चाहिए। हालांकि, शिव प्रतिमा की परिक्रमा पूरी की जा सकती है। शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा आधी करनी चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा आधा कर वापस हो लेना चाहिए।

बाईं तरफ से शुरू करें परिक्रमा

शिवलिंग की परिक्रमा आधा करने के साथ ही ही दिशा का भी ध्यान करना चाहिए। शिवलिंग की परिक्रमा  बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए। साथ ही जलाधारी तक जाकर वापस लौट कर दूसरी ओर से परिक्रमा करनी चाहिए। विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। इसे शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है। इस बात का ख्याल रखें कि परिक्रमा दाईं से कभी शुरू न करें।

जलाधारी को लांघने की भूल न करें

शिवलिंग की जलधारी को कभी भी भूल कर नहीं लांघना चाहिए। अन्यथा इससे घोर पाप लगता है। शिवलिंग का जलाधारी या अरघा को ऊर्जा और शक्ति का भंडार माना गया है। यदि परिक्रमा करते हुए इसे लांघा जाए तो मनुष्य को वीर्य या रज और इनसे जुड़ी शारीरिक परेशानियों के साथ ही शारीरिक ऊर्जा की हानि का भी सामना करना पड़ता है।

पूर्ण परिक्रमा से बुरे प्रभाव पड़ते हैं

शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा से शरीर पर पांच तरह के विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। इससे देवदत्त और धनंजय वायु के प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। इसी वजह से शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह का कष्ट उत्पन्न होता है। शिवलिंग की अर्ध चंद्राकार प्रदक्षिणा ही हमेशा करना चाहिए।

इन स्थितियों में लांघी जा सकती है जलाधारी

कई स्थितियों में जलाधारी को लांघने का दोष नहीं माना गया है। जैसे तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढंके हुए जलाधारी का उल्लंघना अनुचित नहीं है।

शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद का क्या करें

शिवलिंग पर जब भी प्रसाद चढ़ाएं उसे घर लेकर नहीं आएं। उस प्रसाद को वहीं बांट दे। साथ ही शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को वहीं छोड़ दें।

घर में भूलकर न रखें शिवलिंग

घर में शिवलिंग रखने से महिलाओं को नुकसान होता है। माना जाता है कि शिवलिंग से निकलने वाली गर्म उर्जा सही नहीं होती। साथ ही शिवलिंग को घर में रखने पर बहुत ही विधि-विधान का पालन करना होता है और गृहस्थ इसका पालन नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि घर में शिवलिंग रखने से सिर दर्द, स्त्री रोग, जोड़ों में दर्द, अशांत मन, गृह क्लेश, आर्थिक अस्थिरिता बढ़ती है।

शिवलिंग से प्रवाहित होती है सकारात्मक ऊर्जा

शिवलिंग भगवान शंकर का एक अभिन्न अंग है और इसकी तासिर बहुत ही गर्म मानी गई है। यही कारण है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने की प्रथा है। मन्दिरों में शिवलिंग के उपर एक घड़ा रखा होता है, जिसमें से पानी की बूंद शिवलिंग पर गिरती रहती है, ताकि शिवलिंग की गर्मी को कम किया जा सके और उसमें से सकारात्मतक ऊर्जा प्रवाहित हो सके।

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