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Chappan Bhog For Shri Krishna: श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने के पीछे है बड़ा कारण, जानिए पौराणिक कथा

Krishna Janmashtami 2022
Updated Jul 20, 2022 | 21:02 IST

Chhappan Bhog For Shri Krishna Janmashtami 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 18 अगस्त गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान की विधि विधान से पूजा की जाती है। इश दिन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है। भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाने के पीछे बड़ा कारण है।

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Krishna Janmashtami 2022Krishna Janmashtami 2022
तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Krishna Janmashtami
मुख्य बातें
  • हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 18 अगस्त गुरुवार के दिन मनाया जाएगा
  • जन्माष्टमी का त्योहार आस्था व उल्लास से मनाया जाता है
  • जन्माष्टमी के दिन रात में भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है

Chhappan Bhog For Shri Krishna: हिंदू धर्म में कृष्ण जन्म जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। सावन के बाद भाद्रपद का महीना लगता है। हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी बना मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 18 अगस्त गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। जन्माष्टमी का त्योहार आस्था व उल्लास से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन रात में भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि के समय हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा के दौरान छप्पन भोग का प्रसाद लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने के पीछे क्या कारण है।

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जानिए, क्या है इसके पीछे कारण
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की मां यशोदा बचपन में उन्हें 8 बार भोजन करवाया करती थीं।  एक बार गांव के सभी लोग इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक बड़ा आयोजन करा रहे थे। कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि ये आयोजन किस लिए हो रहा है तो उन्होंने बताया कि यह आयोजन स्वर्ग के भगवान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जा रहा है। इससे वो अच्छी बारिश करेंगे और अच्छी फसल होगी। तब कृष्ण ने कहा जब बारिश करवाना इंद्रदेव का काम है तो उनकी पूजा क्यों करना। अगर पूजा करनी है तो गोवर्धन पर्वत की किया जाएं। इससे फल-सब्जियां प्राप्त होती हैं और पशुओं को चारा मिलता है।

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तब सभी को कृष्ण की बात उचित और तार्किक लगी। सभी ने इंद्र की पूजा ना कर के गोवर्धन की पूजा की। इंद्रदेव को यह बात काफी बुरी लगी। उन्होंने क्रोध में आकर बारी बारिश कर दी। तब भगवान श्री कृष्णा ने सात दिनों तक बिना खाये-पिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में उठाये रखा और सातवें दिन जब बारिश रुक गई और गोकुल वासी गोवर्धन के नीचे से निकल आये तब उन्हें ध्यान आया कि कान्हा ने तो सात दिनों से कुछ खाया ही नहीं है। तब माता यशोदा और सभी गोकुलवासियों ने श्री कृष्ण के लिए सात दिन और आठ प्रहर के हिसाब से छप्पन प्रकार के अलग अलग पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाया।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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