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Sita Mata ki Aarti: आरती श्री जनक दुलारी की- देखें सीता माता की आरती ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में

Updated Feb 24, 2022 | 10:34 IST

Sita Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi (आरती श्री जनक दुलारी की): मां सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे बड़ी पुत्री थी। मां जानकी की नियमित पूजा अर्चना करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। देखें सीता माता की आरती ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में।

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सीता माता की आरती हिंदी लिरिक्स के साथ
मुख्य बातें
  • मां सीता को वैदेही के नाम से भी पुकारा जाता है
  • मां सीता राजा दशरथ की सबसे बड़ी पुत्री थी
  • सुबह-शाम मां सीता की आरती करने से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है

Sita Mata Ki Aarti Lyrics In Hindi, Aarti Sri Janak Dulari ki written: मां सीता मिथिला के राजा जनक की सबसे बड़ी पुत्री थी। इन्हें कई नामों से जाना जाता है। शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मां जानकी राजा दशरथ के गोद में आई थी। इस दिन भारत में बड़ी धूमधाम से सीता जयंती मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार जहां मां जानकी की सुबह-शाम पूजा-अर्चना की जाती है, वहां मां लक्ष्मी साक्षात विराजमान रहती हैं। आपको बता दें मां सीता को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। उनकी पूजा-अर्चना जीवन की सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती है। यदि आप भी मां जानकी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते है, तो उनकी यह पवित्र आरती सुबह-शाम जरूर पढ़ें।

Aarti Sri Janak Dulari ki written, सीता माता की आरती ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

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सती श्रोमणि पति हित कारिणी, 
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥

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आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

सीता माता को त्रेतायुग में सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार कहा गया है। पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन करने के कारण इनका नाम बहुत आदर से लिया जाता है। राजा जनक की पुत्री होने के कारण इन्हे जानकी, जनकात्मजा अथवा जनकसुता भी कहते थे। मिथिला की राजकुमारी होने के कारण यें मैथिली नाम से भी प्रसिद्ध है। भूमि में पाये जाने के कारण इन्हे भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है।
 

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