- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है
- इस दिन सुहागिन महिलाएं माता तुलसी की परिक्रमा करके उनसे अखंड सौभाग्य की कामना करती है
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और पितरों की पूजा की जाती है
Somavati Amavsya 2022 Vrat Katha In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा हैं। आपको बता दें इस दिन पितृदोष से मुक्ति के लिए बहुत सारे कार्य भी किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है, कि इसी दिन भगवान शनि देव जन्म लिए थे। इस बार सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या के दिन सिद्धि योग बन रहा है। बता दें ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है। यदि आप सोमवती अमावस्या का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो यहां आप इस व्रत की कथा हिन्दी में देखकर पढ़ सकते है।
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सोमवती अमावस्या व्रत 2022 की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण का भरा पूरा परिवार था। उसकी एक बेटी थी, जिसकी शादी नहीं हो पा रही थी। जिसकी वजह से वह बहुत चिंतित रहता था। लड़की, सुंदर, सुशील और कामकाज भी थी। लेकिन फिर भी शादी नहीं हो पा रही थी। एक बार उस ब्राह्मण के घर एक साधु आया। वह उस लड़की की सेवा को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। ऐसा कहने पर लड़की के पिता ने उस साधु से कहा, कि इसकी शादी नहीं हो पा रही है। यह सुनकर साधु ने लड़की के बारे में कहा कि उसकी कुंडली में शादी का योग नहीं होगा। इसी वजह से ऐसी समस्या हो रही है। उस साधु की बात सुनकर ब्राह्मण घबराकर उपाय पूछनें।
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तब साधु ने ब्राह्मण को कहा, गांव में एक धोबिन रहती है। वह पतिव्रता नारी है। तुम अपनी बेटी को उसकी सेवा के लिए उसके पास भेज दो। वह औरत अपनी मांग का सिंदूर इस पर लगा देगीं, तो तुम्हारी बेटी का जीवन संवर जाएगा। यह सुनकर ब्राम्हण अगले दिन सुबह-सुबह अपनी बेटी को लेकर धोबिन के घर चला गया। धोबिन अपने बेटे और बहू के साथ रहती थी। ब्राह्मण की बेटी सुबह जल्दी उठकर उस के घर जाकर सारा काम कर के वापस आ जाती थी। ऐसा वह 2-3 दिनों तक करती रहीं। धोबिन को लगा कि उसकी बहू सुबह उठकर उसका सारा काम जल्दी से कर दे रही है।
इस बारे में धोबिन नें अपनी बहू से पूछा। यह सुनकर बहू ने कहा कि मुझें लगा ये सब आप कर रही है। यह सुनकर धोबिन आश्चर्य में रह गई। इसका पता लगाने के लिए वह सुबह जल्दी उठकर छुप गई। उसने देखा कि वहां ब्राह्मण की बेटी आई है। उसने उसे पकड़ लिया। तब ब्राह्मण की बेटी ने अपनी सारी व्यथा धोबिन से कह डाली। यह सुनकर धोबिन बहुत खुश हुई और उसने अपना सिंदूर उसे लगा दिया। सिंदूर लगाते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। आपको बता दें जिस दिन ऐसा हुआ उस दिन सोमवती अमावस्या था।
यह देख कर धोबिन दौड़ते-दौड़ते पीपल के पेड़ के पास गई। परिक्रमा करके के लिए धोबिन के पास कुछ भी नहीं था। तब वह ईद के टुकड़े को लेकर पीपल की 108 बार परिक्रमा की। ऐसा करते ही धोबिन के पति में फिर से जाना आ गई और कुछ दिनों बाद उस कन्या का भी विवाह हो गया। तभी से इस दिन प्रत्येक सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत करने लगीं।
(डिस्क्लेमर: यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। टाइम्स नाउ नवभारत किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)