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Janmashtami 2022 Aarti: जन्माष्टमी पर कहें आरती कुंज बिहारी की.. हिंदी में करें श्रीकृष्ण की आरती

Updated Aug 20, 2022 | 00:08 IST

Janmashtami 2022 Aarti Lyrics: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय भजन, कीर्तन के साथ ही भक्त आरती भी करते हैं। आप भी ‘आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की’ गाकर नंदलाला की अराधना करें।

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Janmashtami 2022 Krishna Arti
मुख्य बातें
  • जन्माष्टमी पर जरूर पढ़ें आरती कुंज बिहारी की श्रीगिरिधर कृष्ण मुरारी की
  • जन्माष्टमी पर कृष्ण भगवान की आरती कर संपन्न करे पूजा
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हिंदी में पढ़ें आरती कुंज बिहारी की

Janmashtami 2022 Aarti Hindi Lyrics: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम के साथ 19 अगस्त को मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और उनका साज-श्रृंगार कर झूले में झुलाया जाता है। इस मौके पर मंदिर में कई आयोजन होते हैं और रात्रि जागरण भी किया जाता है।  इस दिन भक्त श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव की धूम देश से लेकर विदेशों में देखने को मिलती है। आप भी जन्माष्टमी के मौके पर भजन-कीर्तन के साथ श्रीकृष्ण की आरती जरूर करें।

अगर आप संस्कृत में मंत्र, भजन या आरती नहीं बोल सकते तो निराश न हों। आप हिंदी लिरिक्स के साथ जन्माष्टनमी पर कान्हा की आरती पढ़कर पूजा कर सकते हैं। यहां देखिए हिंदी में श्रीकृष्ण की ‘आरती कुंज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की...’

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आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;

अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;

चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।

टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

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यहां देखिए ‘आरती कुंज बिहारी की’ का वीडियो। इसे लोकप्रिय गायिका अनुराधा पौडवाल ने गाया है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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