नई दिल्ली: भारत में अनेको देवी-देवताओं के मंदिर हैं, जहां दुनियाभर से हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा ही एक मंदिर दक्षिण भारत के तमिल नाडु के वेल्लोर नगर में बना हुआ है जो महालक्ष्मी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
इस मंदिर की खासियत है इसकी अलौकिक भव्यता, जिसके लिए यह पूरी दुनिया में जाना जाता है। महालक्ष्मी का यह मंदिर दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे बनाने के लिए 15 हजार शुद्ध किलो सोने का प्रयोग किया गया है।
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दुनिया का पहला मंदिर जिसमें लगा है इतना सोना
महालक्ष्मी के इस मंदिर को बनाने में 300 करोड़ रूपए से भी ज्यादा राशि लगी है। इसकी सजावट में ढेर सारे सोने का प्रयोग किया गया है। इतनी मात्रा में सोने का प्रयोग किसी दूसरे मंदिर में नहीं हुआ है।
मां महालक्ष्मी की मूर्ती में लगा है इतना सोना
इस मंदिर में मां महालक्ष्मी की 70 किलो ठोस सोने की मूर्ति भी।
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100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला है मंदिर
यह मंदिर 100 एकड़ से भी ज्यादा के क्षेत्र में फैला है। इस मंदिर के चारों ओर हरे भरे पेड़ पौधे ही दिखाई देते हैं। ढेर सारी हरियाली के बीच में 15 हजार किलो शुद्ध सोने का चमकदार मंदिर अपने आप में ही मिसाल है।
मंदिर में फहराया जाता है तिरंगा ध्वज
यह भारत का पहला मंदिर है, जहां तिरंगा ध्वज फहराया जाता है। वहीं, यह मंदिर हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख और इसाईयों के लिए खुला है।
इस मंदिर का निर्माण 2007 में किया गया था। इतने कम समय में इस मंदिर ने दुनियाभर के प्राचीन मंदिरों को सुंदरता के मामले में पीछा छोड़ रखा है। यह एक महंगा मंदिर है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
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