नई दिल्ली : अंग्रेजों ने अपने लंबे शासनकाल में देश में कई चर्च तो बनवाए लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिसके लिए माना जाता है कि उसका पुन: निर्माण ब्रिटिशर्स ने करवाया था। ये है मध्य प्रदेश के आगर मालवा का श्री बैजनाथ महादेव मंदिर जिसकी लोगों के बीच आज भी बड़ी श्रद्धा है। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, वो जरूर पूरा होता है। यह मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे बना है और इसका इतिहास राजा नल से जुड़ा है।
शिव के इस मंदिर का गर्भगृह 11 गुणा 11 फीट का चौकोर है और इसके बीचोंबीच आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में ब्रह्मा और विष्णु जी की प्रतिमाएं भी सुशोभित हैं। मंदिर करीब 50 फुट ऊंचा है और इसके शिखर पर 4 फुट ऊंचा सोने का कलश जड़ा है। मंदिर के पीछे एक कमलकुंड भी है जहां खिलते कमल के फूलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि की बहुत धूम रहती है। वहीं चैत्र और कार्तिक के महीनों में यहां भव्य मेले भी लगते हैं।
मध्य प्रदेश के आगर मालवा के श्री बैजनाथ महादेव मंदिर को लेकर कहा जाता है कि पहले यहां एक मठ था जहां तांत्रिक पूजा होती थी। लेकिन 1880 के दौरान एक अंग्रेज दंपत्ति ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। लेकिन क्यों, इसके पीछे भी एक कहानी बताई जाती है जो भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा करने पर मनोकामना पूर्ति से जुड़ी है। बताया जाता है कि एक अंग्रेज कर्नल मार्टिन अफगान युद्ध पर गया हुआ था और वहां से अपनी कुशलता का संदेश अक्सर पत्रों के जरिए अपनी पत्नी को भेजता था तो आगर मालवा में रहती थीं। कई दिनों के बाद ये पत्र का सिलसिला टूट गया और अनहोनी की आशंका ने मिसेज मार्टिन की सेहत भी खराब करनी शुरू कर दी।
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मिसेज मार्टिन को मिला मंदिर का सहारा
अपने पति की कुशलता कहां से पूछे की उधेड़बुन में एक दिन मिसेज मार्टिन आगर मालवा के बैजनाथ मंदिर के पास से गुजरीं। मंदिर से आती शंख और मंत्रों की आवाज ने उनका ध्यान खींच लिया और उन्होंने अंदर जाकर पुरिहतों को अपनी समस्या बताई। पुजारियों ने उनको ओम नम: शिवाय मंत्र का लघुरुद्री अनुष्ठान करने को कहा। बताया जाता है कि इस अनुष्ठान को करने से पहले मिसेज मार्टिन ने ये मनौती मांगी थी कि उनके पति सकुशल लौट आए तो वह मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएंगी।
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पति आया खत, किसी योगी की मदद की बताई कहानी
ऐसा बताया जाता है कि अनुष्ठान पूरा होते ही मिसेज मार्टिन के पास उनके पति का खत पहुंच गया और उनको ये पढ़कर हैरानी हुई कि उसमें लिखा था कि कैसे शेर की खाल पहले और हाथ में त्रिशूल लिए एक योगी ने अफगानों की चंगुल से उनके पति को बचाया। पत्र में कर्नल मार्टिन ने लिखा था कि उस योगी ने उनको बताया कि वह उनकी पत्नी की तपस्या और लगन से प्रसन्न होकर उनको बचाने आए हैं। ये कहानी श्री बैजनाथ मंदिर में पत्थरों पर उकेरी हुई है और सभी की श्रद्धा का केन्द्र है।
ब्रिटेन में भी शिव पूजा का वचन
कर्नल मार्टिन के वापस आने के बाद जब दंपत्ति ने आपस में एकदूसरे की कहानी सुनी तो दोनों के मन में शिव भक्ति जाग गई। बताया जाता है कि उन्होंने 1883 में 15 हजार रुपये देकर मंदिर का रेनोवेशन करवाया और इंग्लैंड जाते समय वहां भी शिव पूजा का वचन देकर गए।
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