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Diwali 2018 : द‍िवाली पर होती है भैरों उपासना, जानें धन पाने का श्री यंत्र का उपाय

Updated Nov 06, 2018 | 23:01 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Diwali Tantra Sadhna : द‍िवाली की रात तंत्र साधना के ल‍िए भी खास मानी गई है। इस दौरान उल्‍लू की मूर्ति की पूजा भी होती है तो भैरो उपासना का भी एक व‍िश‍िष्‍ट स्‍थान है।

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
Diwali 2018 : द‍िवाली की रात तंत्र साधना के ल‍िए भी खास मानी गई है।

Diwali Tantra Sadhna : दीपावली के अमावस्या वाली काली रात्रि तांत्रिकों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ अवसर है। एक जिंदगी का वह अमिट तांत्रिक पन्ना है जिसकी हर लिखावट पर अमावस्या के तप के निशान हैं। तंत्र की देवी माता काली जिनके आशीर्वाद के बिना कोई भी तांत्रिक अनुष्ठान अधूरा है। मां काली इस दिन अपने तांत्रिक भक्तों की इस काली भयावह रात्रि में परीक्षा लेती हैं।

एक तरफ संसार खुशियों संग दीपों के पर्व में आनंदित है तो वहीं तांत्रिक बिना अन्न जल ग्रहण किये कठिन तप और साधना से माता काली और तंत्र के और देवियों को अपनी कठिन साधना से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं ताकि पूरे वर्ष उनकी साधना लोक कल्याण में काम आए। हालांक‍ि कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं। उच्चाटन, मारण ,सम्मोहन  इत्यादि की साधना को स्वसुखाय प्रयोग करके वे केवल स्वकेन्द्रित होते हैं।

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ज्‍योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार, बंगलामुखी साधना लोकहितकारी है। यदि कोई मुकदमे से परेशान है, अनचाही बाधाएं प्रगति के मार्ग में आ रही हैं, कोई जाने अनजाने में पाप का फल मिल रहा हो या किसी का श्राप जीवन को बर्बाद कर रहा हो तो यह तांत्रिक सिद्धि बहुत काम आती है। अत्यंत सावधानी पूर्वक और नियम से ही यह साधना करनी पड़ेगी अन्यथा इसका दुष्प्रभाव भी है।

दुर्गासप्तशती के कई मंत्र भी आज की रात्रि बहुत आसानी से सिद्ध हो जाते हैं। श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तं के 16 मंत्रों को अमावस्या की रात्रि में सिद्ध किया जा सकता है। बहुत से लोग उल्लू की बलि भी देते हैं जो पूर्णतया गलत और अधार्मिक है। इस रात्रि उल्लू दिख जाए तो उसको प्रणाम करिये। उल्लू की मूर्ति की भी उपासना की जाती है। 

अमावस्या की रात्रि में भोज पत्र पर श्री यंत्र बनाकर स्वर्ण या चांदी की ताबीज में भरकर धारण करने से धन की प्राप्ति होती है। नदी के तट पर बंगलामुखी उपासना तेज काम करती है। साबर मंत्र भी जपे जाते हैं। बिना सही ज्ञान या गुरु के निर्देशन में कोई भी तांत्रिक क्रिया मत करें अन्यथा उसका दुष्परिणाम भी भोगना पड़ेगा।

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महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय भी इस रात्रि में बहुत तेज कार्य करते हैं। तंत्र में भैरो उपासना का एक अलग स्थान है। इस अमावस्या की काली रात्रि में भैरो पूजा को विधि विधान से करके कुछ बीज मंत्रो की सहायता से वो सिद्धि प्राप्त की जा सकती है जो पूरे वर्ष कार्य करेगी जिससे राहु और केतु के किसी भी अनिष्ट का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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