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Chanakya Niti: जीवन को बदल देंगे चाणक्‍य के चार अबूझ रहस्‍यमयी उपाय, समझते ही खत्‍म हो जाएंगी सभी परेशानियां

Updated Aug 07, 2022 | 07:15 IST

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में जीवन की हर पहलु और परिस्थिति के बारे में जिक्र किया है। इसमें सुख-दुख में विचलित न होने के भी कई उपाय बताए हैं। साथ ही आचार्य चाणक्‍य ने जीवन के चार ऐसे रहस्‍य भी बताए हैं, जिसे समझने के बाद व्‍यक्ति अपने जीवन को आसान बना सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
आचार्य चाणक्‍य के ये चार अबूझ उपाय
मुख्य बातें
  • भोजन से ही बनते हैं व्‍यक्ति के विचार, रखें इसका ध्‍यान
  • लालच सबसे बड़ा रोग, जिसे लगा वह दलदल में फंसता गया
  • व्‍यक्ति की सुंदरता नहीं बल्कि ज्ञान होता है सबसे बड़ा धन

Chanakya Niti in Hindi: नीति शास्‍त्र जीवन को आसान बनाने का एक संग्रह है। समस्‍याओं से छुटकारा दिलाने और सफलता प्राप्‍त करने में यह आज भी उतना ही  प्रासंगिक है, जितना सदियों पहले था। चाणक्य नीति हमें मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान और कठिन रास्‍तों को आसान बनाने का उपाय बताता है। आचार्य चाणक्य के इस नीति शास्‍त्र में हर परिस्थिति का सामना करने और सुख-दुख में विचलित न होने के उपाय बताए गए हैं। आचार्य चाणक्‍य ने चार ऐसे रहस्‍य के बारे में बताया है, जिसे अगर कोई व्‍यक्ति समझ ले तो वह अपने जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है।

भोजन से प्रेरित विचार

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि व्‍यक्ति का भोजन उसके विचार को प्रभावित करता है। जिस तरह जलता हुआ दीपक अंधेरे का भक्षण कर काला धुआं बनाता है। उसी प्रकार मनुष्‍य में उसके भोजन अनुसार विचार पैदा होता है। विचारों को संतुलित करने के लिए सही खानापान जरूरी है।

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संपत्ति वितरण

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि संपत्ति का वितरण मनुष्‍य जीवन में काफी प्रभाव रखता है। इसलिए अपनी संपत्ति सही हाथों में देना जरूरी है। अगर संपत्ति गलत हाथों में चला जाए तो वह कई लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए संपत्ति ऐसे व्‍यक्ति को ही दें जो उसकी कीमत व जरूरत को समझ सके।

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लालच सबसे बड़ा रोग

आचार्य चाणक्‍य की नीति कहती है कि जिस तरह से संतोष के समान कोई सुख नहीं, दया के समान कोई गुण नहीं और एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं होता है। उसी तरह लालच से बड़ा कोई रोग नहीं होता। जिसे यह रोग लग जाता है, उसका पूरा जीवन बर्बाद कर देती है।

विद्यवान सबसे धनवान

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि लोग दिखने में चाहे कितने भी सुंदर क्‍यों न हों, लेकिन अगर उनके पास ज्ञान नहीं है, तो सब बेकार हैं। मनुष्‍य के लिए उसका सबसे बड़ा धन उसका ज्ञान होता है। इसी ज्ञान से धन और सफलता मिलती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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