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आने वाली मुसीबतों का पहले ही संकेत देती हैं खीर भवानी, बदल जाता है कुंड के पानी का रंग

Updated Jan 04, 2021 | 06:19 IST

Goddess Kheer Bhawani Temple: कश्मीर में देवी का एक मंदिर ऐसा है, जहां के कुंड का पानी किसी भी विपदा के आने से पहले रंग बदल जाता है। मान्यता है कि देवी हर मुसीबत का पहले ही आभास करा देती हैं।

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Goddess Kheer Bhawani Temple, देवी खीर भवानी का मंदिर
मुख्य बातें
  • देवी खीर भवानी कश्मी पर आने वाली हर आपदा का पहले ही करा देती हैं अंदेशा
  • कश्मीर में बाढ़ और कारगिल युदध के समय बदल गया था पानी का रंग
  • सीता हरण के कारण रावण से नाराज हो कर छोड़ दिया था देवी ने लंका

कश्‍मीर में देवी के एक मंदिर का चमत्कार आज भी लोगों को आश्चर्य में डाल देता है। यह मंदिर खीर भवानी का है। देवी का ये मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में मौजूद है। इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है, क्योंकि माना जाता है कि खीर भावानी देवी कश्मीर पर आने वाली हर मुसीबत का पहले ही आभास करा देती हैं। देवी के मंदिर परिसर के कुंड का पानी जैसे ही रंग बदलता है लोगों को समझ आ जाता है कि कोई विपदा आने वाली है। देवी खीर भावानी के बारे में कहा जाता है कि ये देवी लंका से कश्मीर आई थीं, क्योंकि वह राणव के कृत्य से नाराज थी और यहीं आ कर बस गईं। देवी खीर भावनी के बारे में आइए आपको विस्तार से बताएं।

देवी सीता के हरण से नाराज होकर कश्मीर आईं थी देवी

बताया जाता है कि देवी खीर भावनी पहले लंका में थीं और रावण इनका परम भक्त था। देवी भी राणव से बहुत प्रसन्न रहती थीं, लेकिन रावण ने जब सीता का अपहरण किया तो देवी बहुत नाराज हुईं और गुस्से में लंका को छोड़कर कश्मीर आ गईं।

चमत्कारिक कुंड देता है विपदा का आभास

माता के मंदिर में एक चमत्कारी कुंड है। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि जब भी कश्मीर पर कोई विपदा आती है तो इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। कुड का पानी जब काला या लाल पड़ता है तो ये किसी संकट का संकेत देता है। बताते हैं कि 2014 में जब कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तो कुंड का पानी काला पड़ा गया था, वहीं, करगिल युद्ध के दौरान कुंड का पानी लाल हो गया था। इतना ही नहीं, जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा था तो इसके पानी का रंग हरा हो गया था और मान्यता यह है कि जब भी कुंड का पानी हरा होता है तो इसका मतलब होता है कि कश्मीर में तरक्की और खुशहाली आएगी।

हनुमान जी ने लंका से हटाई थी देवी की प्रतिमा

मंदिर की स्‍थापना को लेकर एक रोचक कथा है। मान्‍यता है कि रावण खीर भवानी देवी का परम भक्‍त था। देवी भी उसके जप और तप से प्रसन्‍न रहती थीं। मगर कुछ समय के पश्‍चात रावण को जब बुरी आदतें लग गईं तो देवी उससे नाराज रहने लगीं। रावण ने जब देवी सीता का अपहरण किया तो देवी इतनी क्रोधित हुई की लंका छोड़ दीं और उन्‍होंने राम भक्‍त हनुमान से अपनी प्रतिमा लंका की बजाए किसी और स्‍थान पर स्‍थापित करने को कहा। जब हनुमानजी ने देवी की प्रतिमा लंका से उठाकर कश्‍मीर के तुलमुल में स्‍थापित कर दी थी।

खीर से प्रसन्‍न होती हैं माता

मान्‍यता है कि यहां मां को खीर का भोग लगाया जाता है। खीर के भोग से माता अपने भक्‍तों से प्रसन्‍न रहती हैं। भक्‍तों को प्रसाद के रूप में भी खीर का वितरण किया जाता है।

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