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कानपुर के इस मंदिर में भ्रष्‍ट नेताओं का आना है मना, शनि देव खुद करते हैं निगरानी

Updated Sep 05, 2018 | 13:34 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कानपुर में एक ऐसा मंदिर है जिसके द्वार आम भक्‍तों के लिए खुले हैं मगर भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को यहां आने की बिल्‍कुल भी अनुमति नहीं है। यहां शनि देव की तीन प्रतिमाएं देश के हर नेता पर नजर रखे हुए हैं।

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Bhrasht Tantra Vinashak Shani Dev Temple

नई दिल्‍ली: उत्तर प्रदेश के कानपुर विश्वविद्यालय के पीछे स्थित एक ऐसा अनोखा मंदिर है है जिसके द्वार आम भक्‍तों के लिए सदा खुले हैं मगर भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को यहां आने की बिल्‍कुल भी अनुमति नहीं है। इस मंदिर का नाम भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर है जो निजी भूमि पर बना हुआ है। 

इस मंदिर की खासियत है कि इसमें स्थित मूर्तियां तर्कों के आधार पर ही स्थापित की गई हैं। यहां शनि देव की तीन प्रतिमाएं एक दूसरे की ओर पीठ कर के स्‍थापित की गई हैं। 

भ्रष्ट नेताओं पर है शनिदेव की नजर
मंदिर का दिलचस्‍प पहलू यह है कि इस मंदिर में वर्तमान अधिकारियों, मंत्रियों और इलाहाबाद के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की तस्वीरें लगाई गई हैं, जिस पर शनि देव की सीधी निगाह बनी रहती है। ऐसा इसलिए जिससे वे अपने न्याय में किसी प्रकार की त्रुटि न करें।

शनि देव की दृष्टि ब्रह्मा जी पर 
मंदिर के अंदर शनि देव तीन मूर्तियों की दृस्टि अलग-अलग लगी फोटो पर पड़ रही है। इसे देख कर ऐसा लगता है कि मानों शनि देव अपने काम पर लगे हैं। इन तीनों मूर्तियों के अपने अलग अलग काम हैं, जिसमें से शनिदेव की एक मूर्ति की नजर सीधे जजों पर पड़ रही है। वहीं दूसरी मूर्ति की नजर विधायकों पर है और तीसरी मूर्ती की नजर सीधे ब्रह्मा जी पर है। इस प्रकार शनिदेव संपूर्ण सरकारी तंत्र और न्‍यायपालिका पर नजर रखते हैं। शनिदेव की दृस्टि ब्रह्मा जी के ऊपर पड़ने के पीछे माना गया है कि इससे  ब्रह्मा पर दबाव पड़ रहा है कि वह अपनी सृष्टि को सुधारें नहीं तो शनि देव उनकी पूरी सृष्टि को विध्वंस कर देंगे। 

मंदिर में नरेन्द्र मोदी और आडवाणी की फोटो
यह मंदिर जब से बना है तब से यहां नरेन्द्र मोदी और आडवाणी की फोटो लगाई गई थी। नरेंद्र मोदी की फोटो पर शनिदेव की सीधी दृस्टि पड़ रही है जिस वजह से वह देश को तरक्‍की पर ले जा रहे हैं। वहीं, मंदिर में अडवाणी की भी फोटो लगी थी, जिस पर शनिदेव की दृस्टि पड़ी और वो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस से बाहर हो गए।

यहां यह प्रावधान किया गया है कि अगर 20 सालों में व्यवस्था में सुधार होता है तो इन वर्जित वर्गों को भी मंदिर में प्रवेश मिल सकता है। मंदिर की स्‍थापना करने वाले रौबी शर्मा का कहना है कि भारत में इतना भ्रष्‍टाचार बढ़ गया है कि इसे रोकने के लिए किसी दैवीय शक्‍ति ही खत्‍म कर सकती है। 

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