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Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2022: कब है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी? जानें इसके नियम और पूजन विधि

Updated Sep 11, 2022 | 13:39 IST

Vighnaraja Sankashti Chaturthi: इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 13 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से इंसान की हर समस्या का निवारण हो सकता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर इस साल कुछ खास और बहुत ही शुभ योग भी बन रहे हैं।

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कब है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी? जानें इसके नियम और पूजन विधि
मुख्य बातें
  • गणपति की उपासना का एक और अवसर
  • 13 सितंबर को मनाई जाएगी विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
  • जानें, मुहूर्त और पूजन विधि

Vighnaraja Sankashti Chaturthi: गणेश महोत्सव के बाद गणपति के भक्तों को भगवान गणेश की उपासना का एक और मौका मिलने वाला है। 13 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाए जाने की पंरपरा है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन गणपती जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 13 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए आपको इस दिन बन रहे शुभ योग और पूजन विधि के बारे में बताते हैं।

कब है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी मंगलवार, 13 सितंबर को सुबह 10 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी बुधवार, 14 सितंबर को सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर इसका समापन होगा। लेकिन संकष्टी चतुर्थी 13 सितंबर को ही मनाई जाएगी।

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विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर शुभ योग

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह 7.37 तक वृद्धि योग रहेगा और इसके बाद बहुत ही शुभ ध्रुव योग लग जाएगा। इस दिन सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 05 मिनट तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इस बीच अमृत योग भी रहने वाला है।

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विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि

इस दिन स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के व्रत का संकल्प लें। इस दिन गणेश भगवान की पूजा चंद्रोदय से पहले करनी पड़ती है। एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर गणपति की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। गणेश को अक्षत, धूप, दीप, कपूर, लौंग और दूर्वा अर्पित करें। उनका चंदन से तिलक करें। इसके बाद उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद गणपति की आरती उतारें और उनके मंत्रों का जाप करें। फिर भगवान से अपने संकट हर लेने की प्रार्थना करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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