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Hariyali Teej 2022: करवा चौथ से कठिन है हरियाली तीज का व्रत, जानिए दोनों में क्या है अंतर

Updated Jul 21, 2022 | 14:36 IST

Hariyali Teej 2022 Kab Hai: हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई को मनाया जाएगा। हरियाली तीज का त्योहार सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। यह व्रत करवा चौथ की तरह निर्जला रखा जाता है, लेकिन कई मायनों में यह व्रत करवा चौथ से बहुत अलग है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Hariyali Teej Festival
मुख्य बातें
  • हरियाली तीज नाग पंचमी से दो दिन पहले आती है
  • हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हरियाली तीज का पर्व 31 जुलाई को मनाया जाएगा
  • हरियाली तीज का व्रत सुहागन महिला व कुंवारी लड़कियां दोनों रखती हैं

Difference Between Hariyali Teej and Karva Chauth: सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हरियाली तीज नाग पंचमी से दो दिन पहले आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हरियाली तीज का पर्व 31 जुलाई को मनाया जाएगा। हरियाली तीज का व्रत सुहागन महिला व कुंवारी लड़कियां दोनों रखती हैं। हरियाली तीज का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रहती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को अच्छा वर पाने के लिए रखती हैं।

हरियाली तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था। हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ के व्रत की तरह होता है। यह व्रत भी निर्जला रखा जाता है। आइए जानते हैं हरियाली तीज व करवा चौथ के व्रत में क्या अंतर है।

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हरियाली तीज में अगले दिन खोला जाता है व्रत

हरियाली तीज का त्यौहार करवा चौथ से थोड़ा कठिन होता है। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को देखने के बाद व्रत खोला जाता है। वहीं हरियाली तीज व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और अगले दिन पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाता है।

हरियाली तीज में होती है भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा

हरियाली तीज का व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करती हैं, जबकि करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं चंद्रमादेवता की पूजा करती है।

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पूरी रात होता है जागरण

करवा चौथ में चांद की पूजा करने के बाद खाना खा कर सोया जा सकता है, जबकि हरियाली तीज में पूरी रात्रि जागरण करना पड़ता है और सुबह स्नान व पूजा के बाद सुहागिन महिला सिंगार, वस्त्र, फल, मिष्ठान आदि सामग्री का दान करके व्रत खोलती हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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